#शब्द : ५९
माया महा ठगिनी हम जानी : १
त्रिगुणी फांस लिये कर डोले, बोले मधुरी बानी : २
केशव के कमला है बैठी, शिव के भवन भवानी : ३
पण्डा के मुरति है बैठी, तीरथ हूँ में पानी : ४
योगी के योगिनि है बैठी, राजा के घर रानी : ५
काहू के हीरा है बैठी, काहू के कौड़ी कानी : ६
भक्ता के भक्तिनि हैं बैठी, ब्रह्मा के घर ब्रह्मानी : ७
कहहिं कबूर सुनो हो संतो, ई सब अकथ कहानी : ८
#शब्द_अर्थ :
त्रिगुणी फांस = सत रज तम गुण बंधन ! केशव = विष्णु ! कमला = लक्ष्मी ! भवानी = पार्वती ! ब्राह्मनी = गायत्री , सावित्री, सरस्वती !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो सुनो मेरी बात जिसे मैं बार बार आपको समझा रहा हु वो माया मोह इच्छा तृष्णा बड़ी चलाख है फरेबी है रूप बदलने वाली है ! वह कभी सद्गुण में दिखाई देती है तो साधु संत , धर्म ज्ञानी , धर्म गुरु जैसे शिव , ब्रह्मा के मन में अर्धांगिनी बन कर राज करती है जैसे उनकी पत्नियां पार्वती , सावित्री , गायत्री ! तो कभी धर्म आचरण में मायावी अपना रूप बदलकर पत्थर की मूर्ति की पूजा अर्चना , होम हवन , बलि , प्रार्थना , नमाज आदि रूप ले लेती है और पानी , तीरथ, दान दक्षिणा बन कर लोगोंको पुण्य के लालच दे ठगती है ! कभी राजसी ठाठ में होती है तो हीरा मोती सोना चांदी , हाथी घोड़े महल नौकर चाकर के राजसी ठाठ के लिये युद्ध कराती है , मानव हत्या कराती है और नाच गाने , मांस मदिरा आदि में चूर होकर अहंकारी बना देती है , तो किसी भिखारी को मोह में डालकर कुछ कौड़ियां , कुछ रूपये मिल जाय इस इच्छा से भी परेशान करती रहती है !
यही नहीं इस माया ने न भोगी छोड़े है न योगी , न साधु न संन्यासी वे भी इच्छा ग्रस्त है चाहे वे वैदिक ब्राह्मणधर्म के देवी देवता विष्णु हो इंद्र हो रुद्र हो सभी मोह माया ग्रस्त है उनके भक्त पाण्डे पुजारी भी कहा छूटे वे भी भक्ति में आसक्ति रखे हुए है उस भक्ति के एवज में कुछ चाहते है जैसे स्वर्ग सुख आदी आदि !
कबीर साहेब कहते हैं कोई मकान कोई स्त्री पुरुष बाल बच्चे गरीब श्रीमंत बड़े छोटे यहांके वहांके कोई भी मोह माया के बंधन से नहीं छूटा ! जो मोह माया इच्छा तृष्णा त्रिगुण रहित है वो है केवल एक मात्र निराकार निर्गुण अविनाशी चेतनतत्व राम जिस अवस्था में परमात्मा खुद कबीर है ! जो मोह माया ग्रस्त है थे वे सभी दुखी थे और है क्यू कि उन्होंने चेतन तत्व राम को जाना ही नहीं ! कबीर साहेब मूलभारतीय हिन्दूधर्मी लोगोंको मूलभारतीय हिन्दूधर्म बताते हुवे वो मुक्ति का मार्ग बताते है !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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