Friday, 8 November 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Shabd : 56 : Nar Ko Nahin Partit Hamari !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : ५६ : नर को नहिं परतीत हमारी ! 

#शब्द : ५६

नर को नहिं परतीत हमारी : १
झूठा बानिज कियो झूठे सो, पूंजी सबन मिलि हारी : २
षट दर्शन मिलि पंथ चलायो, तिरदेवा अधिकारी : ३
राजा देश बड़ों परपंची, रैयत रहत उजारी : ४
इत ते उत उत ते इत रहहू, यम की साँड सवारी : ५ 
ज्यों कपि डोर बाँधु बाजीगर, अपनी खुशी परारी : ६
इहै पेड़ उत्पति परलय का, विषया सबै विकारी : ७
जैसे श्वान अपावन राजी, त्यों लागी संसारी : ८
कहहिं कबीर यह अदबुद ज्ञाना, को माने बात हमारी : ९
अजहूँ लेहूँ छुड़ाय काल सो, जो करै सुरति संभारी : १० 

#शब्द_अर्थ : 

परतित = प्रतीत ! बनिज = व्यापार ! पूँजी = जमा ! षट दर्शन = योगी, जंगम, सेवड़ा, संन्यासी, दरवेश, ब्राह्मण ! तिरदेव = ब्रह्मा विष्णु रुद्र ! अधिकारी = शासक ! राजा = पंथ आचार्य ! देश = संप्रदाय ! परपंची = प्रपंची , धोखेबाज ! रैयत = प्रजा, सामान्य लोग ! उजारी = उजाड़, वीरान ! इत उत = लोक परलोक ! यम = वासना ! साँड़ = मस्त बैल ! कपि = वानर! परारी = दूसरे ! पेड़ = मूल ! सुरती = सूरत ! संभारी = संयम ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो अपने आप पर विश्वास करो संसार में बड़े प्रपंची ढोंगी लोग है जिन्होंने धर्म के नाम पर अधर्म फैलाया है ! कोई खुद को योगी कहता है तो कोई जोगी और कुछ अपने को दरवेश बताते है तो कुछ अपने को ब्राह्मण पंडित ज्ञानी बताते है पर है सब ढोंगी और झूठे इन्होंने धर्म के नाम से धंधे चला रखा है ! 

इन सब झूठे धर्म व्यापारी में सब से खतरनाक और छलावे वाले विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के धर्माचार्य पंडित पाण्डे पुजारी ब्राह्मण शंकराचार्य मठाधीश आदि है ! ये कहते है उनके त्रि देव ब्रह्मा विष्णु इन्द्र यही पूरे सृष्टि के तीन देव है ईश्वर है भगवान है जो कभी कभी अवतार लेते है जैसे मच्छ कच्छ वराह सिंह वामन आदि और इनके पत्थर के मूर्ति में ब्राह्मण प्राण प्रतिष्ठा कराकर उन्हें जिंदा करते है और ये ब्राह्मणों द्वारा पूजा से प्रसन्न होते है और इच्छित वर देते है इसलिए पाण्डे पुजारी ब्राह्मण दान दक्षिणा लेते है पहले ये वैदिक ब्राह्मणधर्म के देवी देवता होम हवन की अग्नि से साक्षात सशरीर प्रगट होते थे और इच्छित वरदान देकर तथास्तु बोलते थे आज कल कोई इनके देवता होम हवन के अग्नि से प्रगट नहीं होते है ! 

इन विदेशी वैदिक ब्राह्मणधर्म प्रपंचीयोने चार वर्ण हजारों जाती उचनिच भेदाभेद अस्पृश्यता विषमता आदि अमानवीय विचार का ब्राह्मण पंथ निर्माण किया और जानबुझ कर स्थानीय आदिवासी मूलभारतीय लोगोंके समता शांति अहिंसा भाईचारा शील सदाचार मानवतावादी मूलभारतीय हिन्दूधर्म में अपना स्वार्थी पंथ ब्राह्मण वैदिक पंथ मिलाकर खुद को झूठमूठ के हिन्दू कहने लगे ! इन विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के अधर्म से बचने की बात कबीर साहेब कहते है !  

कबीर साहेब कहते हैं जैसे किसी बंदर के गले में रस्सी बांधकर बाजीगर , खेल दिखाने वाला बंदर से उल्टे सीधे करतब करा कर पैसे मांगता है वैसे ही विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पाण्डे पुजारी ब्राह्मण ने यहां के मूलभारतीय हिन्दूधर्मी लोगोंके गले में जाती वर्ण व्यवस्था उचनीच भेदाभेद अस्पृश्यता विषमता आदि अमानवीय विचार अधर्म का पट्टा बांध रखा है , कबीर साहेब इस से बाहर आने की बात करते है ! अग्यान से बाहर आने की बात करते है , गुलामी से मुक्त होने की बात करते है ! 

कबीर साहेब अधमि विकृत वैदिक ब्राह्मणधर्म को देश के बाहर करने की बात करते ताकि देश और रैयत , देश के लोग दोनों आज़ाद होकर खुशी की जिंदगी जिये ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण, #अखंडहिंदुस्थान, #शिवसृष्टि

No comments:

Post a Comment