#शब्द : ७४
ऐसो भोगिया बदकर्मी, जाके गमन अकाश न धरणी : १
हाथ न वाके पाव न वाके, रूप न वाके रेखा : २
बिना हाट हटवाई लावै, करै बयाई लेखा : ३
कर्म न वाके धर्म न वाके, योग न वाके युक्ति : ४
सींगी पात्र किछउ नहिं वाके, काहेक माँगे भुक्ति : ५
मैं तोहिं जाना तैं मोहिं जाना, मैं तोहिं माहिं समाना : ६
उत्पत्ति परलय एकहु न होते, तब कहु कौन ब्रह्म को ध्याना : ७
योगी आन एक ठाढ कियो है, राम रहा भरपूरी : ८
औषध मूल किछउ नहिं वाके, राम सजीवन मूरी : ९
नटवट बाजा पेखनी पेखे, बाजीगर की बाजी : १०
कहहिं कबीर सुनो हो संतो, भई सो राज बिराजी : ११
#शब्द_अर्थ :
बदकर्मी = गलत काम करने वाला ! गमन = घूमना , यात्रा ! रेखा = चिन्ह ! हाट = बाजार ! हटवाई = बाजारी ! बयाई = तौलाई , दलाली ! लेखा = हिसाब ! युक्ति = उपाय ! सींगी = हिरन के सींग का बाजा ! पात्र = बर्तन ! भुक्ति = भोजन , भिक्षा ! आन = अन्य ! पेखनी = मुद्रा , आसन ! बाजी = तमाशा ! राज = व्यवस्था ! बिराजी = अव्यवस्था , भ्रष्ट !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो योग के नाम पर लुट मची है ! शरीर के अंग की करामात , विभिन्न आसन लगाकर लोगोंको ये योगी बेवकूफ बना रहे है और आध्यात्म , धर्म विचार में खुद को ऊंचे स्थान पर पहुंचे लोग बता रहे है जब की योग केवल एक शरीर व्यायाम की कला है और अभ्यास से उसमें निपुणता प्राप्त होती है ! ये योगी अपना खेल आसन के तरीके बताकर अपना उदारनिरवाह करते है भिक्षा , भोजन मांगते है ध्यान आकर्षण के लिए हिरन के सींग का बाजा बजाते है और लागोंको कुछ हट धर्मीता के शारीरिक आसन बताते है जैसे बैठकर ख़ुद को एक हाथ से हवा में ऊपर उठाना आदि , जटा रख कर खुद को कभी सौ दो सौ साल के उम्र के बताते है कुछ जड़ी बूटी , शिलाजीत बेचते है बाजार बाजार जा कर बस यही खेल तमाशा दिखाने और बेचने का काम करते है !
कबीर साहेब कहते हैं ये योगी पूरे ढोंगी है धर्म आध्यात्म कुछ नही जानते ! न उनके आहार विहार में काई तथ्य है ! ये भटके हुए लोग है ! माया मोह इच्छा में फंसे हुए ये लोग विलासित जीवन जीना चाहते है पैसा कमाना यही उनका मकसद है बाकी सब दिखावा है वे राजपाट के लालची है , अव्यवस्था फैलाना लोगोंको डरना इनका धर्म और काम है !
योगी क्या जाने राम ! राम तो संजीवन है ! कोई जड़ी बूटी , मूली नहीं जो योग और भोग से प्राप्त हो ! राम नीति , का नाम है शील, सदाचार, सत्य का नाम है उल्टे सीधे करतब आसन हट योग का खेल तमाशा नहीं !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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