Friday, 14 November 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 2 :10

पवित्र  बीजक : प्रग्या  बोध  :  चाचर  : 2 : 10

चाचर  : 2 : 10 

अंकुश  सहियो  सीस , समुझि  मन  बौरा  हो  ! 

अंकुश  = गुलामी  , लाचारी !  सहियो  = सहन  कर  रहा  है  ! सीस =  सर , पगडी  , सन्मान,  आत्म  सन्मान  ! समुझि  मन  बौरा  हो  = मन  काबु  मे  न  होना  , लाचार मन  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  चाचर  के  इस  पद  में  कहते  है  मानव  की  इज्जत  मान  सन्मान , आत्म  सन्मान  का प्रतिक  उसकी  टोपी  , पगडी  , सर  और  सर का ताज  होता  है !  जब  आदमी  उसको  किसी  के  कदमो  में  रख  देता  है  और  गुलामी  लाचारी  स्विकार  लेता  है  अधर्म  स्विकार  लेता  है  तब  समजो  उसने  विवेक  खो  दिया  है  !  अपना  विवेक  बुद्धी  आत्मसन्मान  कभी भी  गीरवी  ना  रखो  किसिके  गुलाम  न  बानो  , आत्म  सन्मान  को  ठेच  पुहचे  एसे  विकृत  संस्कार  अस्पृष्यता  छुवाछुत  ऊचनीच  भेदाभेद  मानने  वाले  धर्म  संस्कृती  को  मान्य  ना  करो  ! समता  शिल  सदाचार  आत्म  सन्मान ही  मानव  की  पहचान  है  जो  मुलभारतिय  हिन्दू  धर्म  की  सिख  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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