पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : चाचर : 2 : 21
चाचर : 2 : 21
सूने घर का पाहुना , मन बौरा हो !
शब्द अर्थ :
सूने = शुन्य , सुना , खाली ! घर = मानव , शरीर ! पाहुना = मेहमान ! मन बौरा = अस्थिर मन , चंचल मन , पागल मन !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर चाचर के इस पद में बताते है अगर कोई इंसान किसी खाली मकान में मेहमान बन कर घुस जाये तो उसका कोन स्वागत करेगा , कोन देख भाल करेगा कोन उसकी जारूरते इच्छा वासना कामना लालच तृष्णा माया मोह पुरा करेगा कोई नही तब तो उसे उस व्यक्ती को पागल ही लोग कहेंगे ! जहाँ कुछ मिलता नही वहाँ मन लगाना , समाय बिताना व्यर्थ है मूर्खता है ! एसे धर्म संस्कृती विचार आचार को अपनावो जहाँ तुम्हे मन की शांती मिले ! विदेशी यूरेशियान वैदिक ब्राह्मणधर्म भूतो का ड़ेरा है उसे छोडो मुलभारतिय हिन्दूधर्म का पालन करो तो पगलाया मन शांती मिले !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ संस्थान
No comments:
Post a Comment