Tuesday, 25 November 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 2 : 21

पवित्र बीजक :  प्रग्या बोध : चाचर :  2 : 21

चाचर  : 2 : 21 

सूने  घर  का  पाहुना , मन  बौरा  हो  ! 

शब्द  अर्थ  : 

सूने   = शुन्य  , सुना , खाली  ! घर  = मानव  , शरीर ! पाहुना  = मेहमान  ! मन  बौरा  = अस्थिर  मन , चंचल  मन , पागल  मन  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा कबीर  चाचर  के  इस  पद  में बताते  है  अगर  कोई  इंसान  किसी  खाली  मकान  में  मेहमान  बन  कर  घुस  जाये  तो  उसका  कोन  स्वागत  करेगा  , कोन  देख  भाल  करेगा   कोन  उसकी  जारूरते   इच्छा  वासना कामना लालच तृष्णा  माया  मोह  पुरा  करेगा  कोई  नही  तब  तो  उसे  उस  व्यक्ती  को  पागल  ही  लोग  कहेंगे  !  जहाँ  कुछ  मिलता  नही  वहाँ  मन  लगाना  , समाय  बिताना  व्यर्थ  है  मूर्खता  है  ! एसे  धर्म  संस्कृती  विचार  आचार  को  अपनावो  जहाँ  तुम्हे   मन  की  शांती  मिले  !  विदेशी  यूरेशियान  वैदिक ब्राह्मणधर्म भूतो  का  ड़ेरा  है  उसे  छोडो   मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  का  पालन  करो  तो  पगलाया  मन  शांती  मिले  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ संस्थान 
कल्याण  , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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