पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : चाचर : 2 : 19
चाचर : 2 : 19
पढे गुने क्या कीजिये , मन बौरा हो !
शब्द अर्थ :
पढे = शिक्षा लिये ! गुने = गुनवान ! क्या कीजिये = क्या फायदा ! मन बौरा हो = मन काबू मे न होना !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर चाचर के इस पद में कहते है लोग कही जाकर स्कुल , विद्दयापीठ , गुरू , गुरूकुल आदी से ऊची ऊची पढाई करते है कई विषय , अभ्यासक्रम पुरा करते है डिग्रीया और गूण हासिल करते है ! उन्हे पंडित ग्यानी ब्राह्मण आदी न जाने कितने उपाधी अलंकरण से सन्मानित किया जाता है पर इन लोगोंका अगर मन पर कोई बस नही चलता मन इनके काबू मे नही रहता माया मोह तृष्णा लालच अहंकार आदी के कारण भटकता रहता है और धर्म के बाजय अधर्म करते रहते है तो इनके पढे लिखे ग्यानी पंडित होने से क्या फायदा ? पुछते है धर्मात्मा कबीर ! कबीर साहेब उस ग्यान को ही सच्चा ग्यान मानते है जो मन मे काबू मे रख कर सद्धर्म मुलभारतिय हिन्दूधर्म का आचरण करे !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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