पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : चाचर : 2 : 13
चाचर : 2 : 13
छुटन की संशय परी , मन बौरा हो !
शब्द अर्थ :
छुटन = छुवाछुत ! संशय = विचार ! बौरा = मूर्ख !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर चाचर के इस पद में बताते है की छुवाछुत ,अस्पृष्यता का विचार रखाना मूर्खता है ! जो लोग छुवाछुत और अस्पृष्यता का धर्म मानते है उसे धर्म मानते है वे अधर्मी निच मूर्ख है , वे कभी भी मोक्ष , सदगती प्राप्त नही कर सकते ! ये संशइ लोग मन मे हमेशा भटकते रहते है क्या ये स्पृष्य है क्या ये अस्पृष्य है इसे छुना चाहिये या नही छुना चाहिये !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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