Sunday, 9 November 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 2 : 5

पवित्र बीजक : प्रग्या  बोध  :  चाचर  : 2 : 5

चाचर  : 2 : 5

बिना  नेव  का  देव  घरा , मन  बौरा  हो  ! 

शब्द  अर्थ  : 

बिना नेव  का  = बिना  नाम का !  देव  =  ईश्वर  ! घरा  = घर  को  लाये  , पूजते  है  ! मन  बौरा  हो  = मन  का  पागलपन  , मूर्खता  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर चाचर  के  इस  पद  में  कहते  है भाईयों  जान  न  पहचान  लोगोंको  देव  ईश्वार  ना  मानो  !  न  नाम  जानते  हो  और न  कभी  मिले  हो  तो  भी  ये  ईश्वार  है  ये  देव  है  ये  ईश्वर  का  अवतार  है  ये  ईश्वर  का  दुत  है  ये  ईश्वर  का  बेटा  है  कहना  गलत  है  मूर्खता  है ! ईश्वर  ना  अवतार  है  ना  मूर्ती  पूजा  में  है  न उसकी  प्राण  प्रतिष्ठा  किसी  पत्थर  की  मुर्ती  मे  की  जा  सकती  है  ! अगर  कोई एसा  कहाता है  तो  वो  अपने मतलब और  फायदे  के  लिये  आपको  मूर्ख  बना रहा  है  समजो  और  एसे  लोगोंसे  धर्म  से  अनुष्ठान , जगह  व्यक्ती  धर्म    पूजा  से  दुर  रहो  !  वह  तो  परमतत्व  चेतन  राम  है  जो  निराकार  निर्गुण  है  !  

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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