Friday, 7 November 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 2 : 3

पवित्र बीजक : प्रग्या  बोध : चाचर  : 2 : 3

चाचर  : 2 : 3

तन  धन  से  क्या  गर्भ  सी , मन  बौरा  हो  ! 

शब्द  अर्थ  : 

तन  = शरीर  ! धन  = संपत्ती  , पैसा  ! क्या  गर्भ  सी  = क्या  गर्व  करना  , क्या  अहंकार  करना  ! मन  बौरा  हो  = मन  की  मूर्खता  है  , पागलपन  है  ! 

प्रग्या  बोध  :

परमात्मा  कबीर  चाचर  के  इस  पद  में कहते  है  भाईयों  जो  लोग  शरीर  और  धन  संपत्ती  का  गर्व करते   है  वे  अहंकारी  और  मूर्ख  है  !  क्या  शरीर  , काया  उसकी  सुन्दारता  तारुण्य  जोश  सदा  के  लिये  रहता  है  ?  धन  संपत्ती  शरीर  काया तो  आनी  जानी  है , उसका  क्या  गर्व  और  अहंकार  करना  ! ये  अहंकार  ये  गर्व  निरर्थक  है  ज़िसमे  धर्म  नही  ! धर्म  अहंकारी  नही  बनाता  ना  मर्त्य  शरीर  का  मोह  सिखता  है  ! शिल  सदाचार  भाईचार  समता  ममता  सिखो  और  उसका  गर्व  करो  क्यू  की  ये  धर्म  है  और  सदा  के  लिये  सुखदाई  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण  , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

No comments:

Post a Comment