Friday, 21 November 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 2 : 17

पवित्र  बीजक : प्रग्या बोध : चाचर :  2 : 17

चाचर  : 2 : 17

ज्यों  सुवना  ललनी  गह्यो , मन  बौरा  हो  ! 

शब्द  अर्थ  : 

ज्यों  = ज़िसके  !  सुवना =  वासना , अच्छा  लगना , भाना  , तारीफ  , गीत  !   ललनी  = स्त्री !  गह्यो  = गया  ! मन  बौरा  = मन  पगला  गया , बेकाबू  हो  गया  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  चाचर  के  इस  पद  में  कहते  है  भाईयों  सैय्यम  बहुत  अच्छी  और  बडी  बात  है  ! पर  स्त्री  पर  लालच  भरी  वासना  न  रखो  , जो  एसा  करता  है  पर  स्त्री  पर  बुरी  नजर  रखता  है , उसकी  तारीफ  कर  उसके  गीत  गाता  है  समजो  वह  वासना  मे  अंध  हुवा  है !   विवेकहीन हुवा  है  और  खुद  का  ही  नुक्सान  करने  वाला  है  !  एसा  अधर्म  कर  भला  किसी  का  क्या  भला  हो  सकता  है  ! यह  वृत्ती  ज़हाँ  नही  वहाँ  चोच  मारने  वाले  सुवे  जैसी  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  , हिन्दुधर्म , विश्वपीठ 
कल्याण  , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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