Sunday, 16 November 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 2 : 12

पवित्र  बीजक  : प्रग्या बोध  : चाचर  : 2 : 12

चाचर  : 2 : 12

लीन्हों  भुजा  पसारि , समुझि मन  बौरा  हो  ! 

शब्द  अर्थ  : 

लीन्हों   = लिया  ! भुजा  पसारि  = बल  का  प्रदर्शन ,   अहंकार , घमंड ! समुझि  मन बौरा  हो  = समझो  मन  बे  काबु  हो  गया है  ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा  कबीर  चाचर  के  इस  पद  में  कहते है  कोई  व्यक्ती  अपने  बाहु  का  बल  , शक्ती  , खुर्ची  का  रोब  दिखता  हो  और  दुसरे  पर  अन्याय  करता  हो  , अपमान  करता  हो  दुसरे  को  ताकत के  बलबुते  गुलम बनाता  हो  तो  समझो  वो  अधर्मी   हो  गया  है  अहंकारी  हो  गया  है  और  मूर्ख  अग्यानी  हो  गया  है  ! शक्ती  बल  का  दूर्पयोग  करना  बेकार  है  क्यू  की  वो  व्यर्थ  है  घमण्डी  का  राजपाट  सत्ता  अहंकार  भी  एक  दिन  टूटता  है  वह  भी  मिट्टी  मे  मिल  जाता  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण  , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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