Wednesday, 19 November 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Chaachar : 2 : 15

पवित्र बीजक : प्रग्या  बोध  : चाचर  : 2 : 15

चाचर  : 2 : 15 

ऊँच  नीच  समझेउ  नहीं  , मन  बौरा  हो  ! 

शब्द  अर्थ  : 

ऊँच  = उन्नात  , प्रगती  ! नीच  = अवनती , निचे  आना  !  समझेउ  = समजाते  नही  ! मन  बौरा  हो  = मन  मे  शांती  नही  ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा  कबीर  चाचर  के  इस  पद  में  बताते  है  भाईयों  उन्नाती  विकास  किसे  कहते  है  जानो  अवनती  , दूर्गती  किसे कहते  है  जानो  , ऊचनीच  भेदाभेद  अस्पृष्यता  जाती  नही  ना  वर्ण  है  , जो  धार्मिक  है  जो  सदधर्म  जानता  और  मानता  है  वह  ऊँच  है  श्रेष्ठ  है  जो  अधार्मिक है , विकृत  धर्म  मानता  है  वह  निच  है  ! विदेशी  वैदिक  ब्राह्मण  नीच  है  क्यू  की  वे  वर्ण जाती  , भेदभाव  अस्पृष्यता  विषमाता  मानते  है  उनकी  मन  स्थिती  विकृत  है  अधर्म  से  भरी  है  ! मुलभारतिय  हिन्दू  श्रेष्ठ  है  क्यू  की  वो  धर्म  को  मानते  है  ,सदधर्म समता   ममता भाईचारा को  मानते  है  शिल  को  मानते  है  जो  इस  सत्य  धर्म  को  नही  मानते  वे  वैदिक  ब्राह्मण  बुद्धीहीन , मन  से पागल  मनोऋग्ण लोग  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस  
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दुधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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