#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #ज्ञान_चौंतीसा : #ज
#ज्ञान_चौंतीसा : #ज
जजा ई तन जियत न जारो, जोबन जारि युक्ति तन पारो /
जो कछु युक्ति जानि तन जरै, ई घट ज्योति उजियारी करै //
#शब्द_अर्थ :
जोबन = यौवन, जवानी ! युक्ति = उपाय ! पारो = करने में समर्थ !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर ज्ञान चौंतीसा में अक्षर ज का महत्व समझाते हुवे कहते है भाईयो यह मानव जीवन और शरीर दुर्लभ है इसे यूंही बर्बाद ना करो , जंगल में जाकर तपस्या करना , नागा साधु बनना, अघोरी बनना सब व्यर्थ है , शरीर को उपवास तापस से यातनाये देना कोई अच्छा काम नहीं ! ये काई धर्म नहीं !
कबीर साहेब कहते हैं भाईयो जवानी को आमोद प्रमोद में और वासना कामना की अग्नि में जलना भी ठीक नहीं है !
इस शरीर का सद प्रयोग करो संसार में रहते हुवे अपने जवानी और पूरे जीवन को निर्विकार निर्मल जीवन जीने के लिये जी जान से कोशिश करो , अपने अंतरात्मा , चेतन राम की आवाज सुनो सत्य शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा मानवता का धर्म मूलभारतीय हिन्दूधर्म का पालन करो , दुर्गुण, अविद्या , वैदिक अधर्म से दूर रहो तो इसी संसार में इसी शरीर में इसी जीवन काल में तुम्हे परमात्मा चेतन राम तत्व कबीर के धर्म ज्ञान से प्रज्ञा बोध होगा , मोक्ष निर्वाण शांति का परमसुख प्राप्त होगा और जीवन धन्य होगा !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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