Tuesday, 7 January 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh :Shabd : 114 : Saar Shabd Se Baanchiho !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : ११४ : सार शब्द से बाँचिहो ! 

#शब्द : ११४

सार शब्द से बाँचिहो, मानहु इतबारा हो : १
आदि पुरुष एक वृक्ष है, निरंजन डारा हो : २
तिरदेव शाखा भये, पत्र  संसारा हो : ३
ब्रह्मा वेद सही कियाे, शिव योग पसारा हो : ४
विष्णु माया उत्पति कियो, ई उरले व्यौहार हो : ५
तीन लोक दशहूं दिशा, यम रोकिन द्वारा हो : ६
कीर भये सब जीयरा, लिये विष का चारा हो : ७
ज्योति स्वरूपी हाकिमा, जिन्ह अमल पसारा हो : ८
कर्म की बंशी लाय के, पकरो जग सारा हो : ९
अमल मिटावो तासु का, पठवो  भव पारा हो : १०
कहहिं कबीर तोहि निर्भय करों, परखे टकसारा हो : ११

#शब्द_अर्थ : 

सार शब्द = निर्णय वचन ! बाँचिहो = बचोगे ! इतबारा = विश्वास ! आदी पुरुष = चेतन तत्व राम , अंततः  कबीर!  निरंजन = मन ! तिरदेवा = ब्रह्मा विष्णु रुद्र ! शाखा =  डालियां ! सही कियो = यही सच है बताना ! माया = विष्णु की पत्नी , भक्ति, उपासना ! उरले = वे , विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के लोग पांडे पुजारी ब्राह्मण ! यम = मृत्यु भय ! कीर = तोता ! विष = वासना ! ज्योति स्वरूपी = मन , कल्पित अवस्था ! हाकिमा = हुकुम चलने वाले ! अमल = अधिकार , शासन , लत  आदत !  बंशी = सुर आलाप , मुग्ध  करने का तरीका ! भव = मन की हलचल ! टकसारा =  चलन  के सिक्के निर्मिती, उत्पत्ति का स्थान ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते भाईयो सुनो  कोई क्या बताता है इस बात पर तुरंत विश्वास ना करों उसके बात में कितनी सच्चाई है जान लो तभी विश्वास करो ! 

विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के लोगों ने बड़े बड़े शातिर तरीके से  अधर्म जाल बुना है ! उन्होंने ब्रह्मा का श्रेष्ठ और श्रृष्टि का निर्माता बताया और चार वर्ण में खुद को  यानी ब्राह्मण को सब से ऊंचा , सर्व सत्ताधीश बताया बाकी मूलभारतीय हिन्दूधर्म के लोगोंसे नीचे तीन वर्ण  क्षत्रिय वैष्य शुद्र बनाए और आपस में लड़ने के लिए क्षत्रीय वैश्य को धर्मांतरित द्विज यानी दुबारा जन्म हुआ ऐसा अंधविश्वास बनाकर उनके साथ सवर्ण गुट निर्माण किया ताकि उनके धन संपत्ति और बाहुबल का सहारा ले कर बहुसंख्य शुद्र का शोषण किया जा सके और लड़ाकू लोगोंको अस्पृश्य अछूता, धर्म बाह्य , नगर बाह्य घोषित किया ताकि उनको कोई विरोध ना कर सके ! मनुस्मृति ला कर जाती में बाट दिया !  तीन देव और लक्ष्मी आदि देवता को बता कर उनके पूजापाठ भक्ति, योग  आदि में मूलभारतीय हिन्दूधर्मी समाज को उलझा दिया , यम नाम का मृत्यु का देवता स्वर्ग नरक  आदि की मन गढ़ंत कहानियां सुना कर समाज में मृत्यु का डर ओर मजबूत किया और आगे कोटि कोटि देवी देवता की निर्मिती कर समाज का जीना मुश्किल किया !   

ऐसे विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पांडे पुजारी ब्राह्मण ने जाल बुनकर  मूलभारतीय हिन्दूधर्म लोगों धर्म के बजाय अधर्म विकृती का पालन करने के लिये मजबुर किया बाध्य किया अन्यथा मनुस्मृति का दण्ड विधान से भयभीत किया और इसमें उन लोगों ने भी साथ दी जो क्षत्रिय राजा और धनिक व्यापारी वर्ग वैश्य भी थे , जब की वो खुद भी वर्ण व्यवस्था के शिकार थे ! 

कबीर ने कहते भाईयो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म का अमल मिटावो , उनकी वर्ण जाति वेवस्था खत्म करो, उनकी श्रेष्ठता समाप्त करों समता भाईचारा मानवता शील सदाचार वैज्ञानिक दृष्टि रखने वाला अपना सनातन पुरातन आदिधर्म मूलभारतीय हिन्दूधर्म को लावों उसका पालन करो तभी तुम भय मुक्त , दुख मुक्त होकर सुख शांति से जी सकोगे ! 

भाईयो धर्म और अधर्म में भेद समझो , संस्कृति और विकृति में भेद करों , निर्माता की मंशा समझो टकसार बने सिक्के चलने लायक है या खोटे है परख लो क्यू की चेतन राम के नगरी में केवल सच चलता है झूठ नहीं ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण, #अखंडहिंदुस्थान, ₹शिवसृष्टि

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