#ज्ञान_चौंतीसा : #ध
धधा अर्ध माहिं अँधियारी, अर्ध छोडि उर्ध् मन तारी /
अर्ध छोडि ऊर्ध मन लावै, आपा मेटि के प्रेम बढ़ावै //
#शब्द_अर्थ :
अर्ध = आधा , अधूरा , निचला ! ऊर्ध = ऊपरी , अच्छा ! तारी = ध्यान ! आपा = अहंकार , मै पन !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर ज्ञान चौंतीसा के अक्षर ध के माध्यम से उपदेश करते हुवे बताते है भाइयों मन ओर विचार को अच्छा बनावो ! मन में सदभाव शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा मानवता आदि उच्च धार्मिक गुण जगावो और नीच मनोवृति , नीच विचार अधर्म विकृति को छोड़ दो !
कबीर साहेब अच्छे विचार को बढ़ावा देना और बुरे विचार को दूर करना इस विद्या कोही ध्यान कहते है ! मन लगाकर कोई काम करो तो सफलता मिलती है !
मन अच्छे और उच्च विचार गुणवत्ता के काम में लगावो और नीच कर्म , अधर्म छोड़ दो यही बात कबीर साहेब हमे यहां बताते हैं समझाते हैं , सिख देते है !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
No comments:
Post a Comment