#शब्द : १०९
लोग बोले दूरी गये कबीर, ये मति कोई कोई जानेगा धीर : १
दशरथ सुत तिन्हु लोकहि जाना, राम नाम का मर्म है आना : २
जेहि जीव जानि परा जस लेखा, रजु का कहै उरग सम पेखा : ३
यद्यपि फल उत्तम गुण जाना, हरि छोड़ीं मन मुक्त उनमाना : ४
हरि अधार जस मीनहि नीरा, और जतन कछु कहैं कबीरा : ५
#शब्द_अर्थ :
मति = समझ ! धीर = स्थिर ! मर्म = भेद ! आना = अन्य, दूसरा ! लेखा = अंदाज ! रजु = रस्सी , मान्य ! उरग = सांप ! पेखा = देखा ! हरि = अंतरात्मा , चेतन राम ! उनमाना = कल्पना, अनुमान !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते है भाइयों कबीर को अब लोग अपने से दूर अलग समझ रहे है ! उनको लगता है कबीर सामान्य लोगों जैसे मंदिर जा कर दशरथ पुत्र राजा राम के दर्शन नहीं लेते ना किसी पतथर की मूर्ति को ईश्वर , देव भगवान मान कर पूजते है न राम नाम की रट या माला फेरते है ! कबीर कोई भी काम विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के धर्म ग्रंथ वेद और मनुस्मृति का पालन करते है , न होमहवन, जनेऊ संस्कार जाती वर्ण व्यवस्था उचनीच भेदाभेद अस्पृश्यता विषमता को मानते है !
लोगोंको बड़ा अचरज होता है कबीर आखिर मानते क्या है ? कबीर का धर्म क्या है ! तो भाइयों में आप को बताता हूं मै दशरथ नंदन राजा राम को मेरा आराध्य देव ईश्वर भगवान अवतार नहीं मानता मेरा राम का तात्पर्य चेतन राम तत्व से है राजा राम से नहीं या विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के दस अवतार , त्रिदेव ब्रह्मा विष्णु रुद्र से या महेश से नहीं ना उनके अवतारों को मै मानता हूं क्यू कि चेतन राम तत्व निर्गुण निराकार अविनाशी हैं वह अवतार नहीं लेता वह वस्तुता सर्वत्र विद्यमान है हम सब उसी से बने है और उसी में है , चेतन राम सारी श्रृष्टि व्याप्त है , न कही आता है न कही जाता है , नित नव है , अमर अजर है सार्वभौम और सत्य शिव सुंदर है ! चेतन राम का धर्म सत्य शिव सुंदर है वही हमारा आद्य धर्म , आदिवासी, स्वदेशी धर्म है मूलभारतीय हिन्दूधर्म !
कबीर साहेब का धर्म शील सदाचार भाईचारा समता मानवता को मानने वाला धर्म है वही हमारा राम है हरि है ! लोग इस मर्म को नहीं समझ पा रहे है सत्यधर्म को नहीं समझ पा रहे है इस लिये कबीर हमसे दूर गए कह रहे है जब की हम धर्म से दूर गये है और कबीर साहेब धर्म के पास जाकर खुद धर्म बन गये है , राम बन गये है , चेतन तत्व राम बन गये है , यही निर्वाण मोक्ष की अवस्था है जो चेतन राम की है निर्गुण निराकार अविनाशी परमतत्व परमात्मा परमपिता प्रज्ञाबोध !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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