#ज्ञान_चौंतीसा : #ख
खखा चाहै खोरि मनावै, खसमहिं छांडि दहूं दिशि धावै /
खसमहि छांडि छिमा हो रहिये, होय न खीन अक्षयपद लहिये //
#शब्द_अर्थ :
खोरि = बुराई , झूठ, दोष ! मनावै = सुधारे ! खासमहिं = पति, मालिक ! खसमहि = दुश्मन ! छिमा = क्षमा !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर ज्ञान चौंतीसा का ख वर्ण का भेद समझाते हुवे कहते है भाईयो मूलभारतीय हिन्दूधर्म छोड़ कर आप लोग विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के झूठे को मालिक पति मान बैठे और खुद गुलाम बन गये ! ये बड़ी बेवकूफी भरी और दुर्भाग्य पूर्ण बात है !
झूठा खसम यानी मालिक छोड़ो , अपना स्वदेशी मूलभारतीय हिन्दूधर्म मालिक पिता अपनावो ! अभी हुआ सो हुआ , गलती के लिये खुद को माफ कर दो, दुखी मत हो पर अब सच की राह पर चलो ! क्षमा करना बहुत बड़ा सद्गुण है जो सुख और शांति प्रदान करता है !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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