#ज्ञान_चौंतीसा : #न
चौथे वो ना महं जाई, राम का गदढा होय खर खाई /
#शब्द_अर्थ : ना = नकारात्मक विचार ! गड्ढ़ा = जानवर ! खर = घास !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर ज्ञान चौंतीसा के अक्षर न का तात्पर्य समझाते हुवे कहते है भाईयो मानव और जानवर में भेद समजो ! मानव का अंतःकरण मन चित्त बुद्धि और अहंकार से भरा होता है उसका तालमेल बनाए रखने से शांति और सुख मिलता है पर जब हम बुद्धि हीन जानवर की तरह काम करते है और खुद के भीतर बसा चेतन राम भूल जाते है तो हम मानव और जानवर गढ्डा , गधे मे कोई अन्तर नहीं रह जाता है !
कबीर साहेब कहते भाईयो तुम राम हो , चेतन राम हो यह ना भूलो और ध्यान रखो तुम्हे परख करना है क्या घास है और क्या मानव भोजन क्या धर्म है और क्या अधर्म , क्या हितकारी और क्या अहितकारी !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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