#ज्ञान_चौंतीसा : #प
पपा पाप करें सब कोई, पाप के करे धर्म नहिं होई /
पपा कहैं सुनहु रे भाई, हमरे से इन किछुवो न पाई //
#शब्द_अर्थ :
पाप = अधर्म ! पपा = चेतन राम ! हमरे से = अहंकार से
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर ज्ञान चौंतीसा के अक्षर प का तात्पर्य समझाते हुवे कहते हैं भाईयो पाप यानी अधर्म सब लोग कर रहे है इस लिऐ जो करेंगे वो भरेंगे के न्याय तत्व अनुसार उसके दुष्परिणाम को भी भुगतना पड़ेगा !
कबीर साहेब बुरे कर्म , विकृति अधर्म पाप , अंध विश्वास , कुसंगति से बचने की शिक्षा देते हुवे मोह माया इच्छा तृष्णा अहंकार से दूर रहो यह बताते है ! पाप का कारण मै पन है अहंकार खुद का बड़ा शत्रु है , अहंकार भरे लोग अंत में खुद का ही अहित कर बैठते है जैसे दुर्योधन, कंस, रावण !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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