Wednesday, 1 January 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Shabd : 108 : Ab Ham bhaili bahuri Jalminaa !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : १०८ : अब हम भैलि बहुरि ज़लमीना ! 

#शब्द : १०८

अब हम भैलि बहुरि ज़लमीना, पूर्वल जन्म तप का मद कीन्हा : १
तहिया मैं अछलेउं मन बैरागी, तजलेऊं मैं लोग कुटुम राम लागी : २
तजलेऊ मैं काशी मति भई भोरी, प्राणनाथ कहु का गति मोरी : ३
हमहिं कुसेवक कि तुम ही अयाना, दुइमा दोष काहि भगवाना : ४
हम चलि अइलि तुम्हारे शरणा, किनहूँ न देखों हरिजी के चरणा : ५
हम चलि अइलि तुम्हारे पासा, दास कबीर भल कैल निरासा : ६

#शब्द_अर्थ : 

भैलि = हो गया !  ज़लमीना = जल के बिना मछली , तड़प, व्याकुल!  तहिया = तब ! अछलेऊ = था , रहना !  भोरी = भोली , भ्रमित ! अयाना = न जानने वाला ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते है भाईयो पूर्व जन्म का संचित कभी ना कभी समाप्त होता है इसलिए लगातार केवल अच्छे कर्म काम करते रहो, अच्छे कर्म का अहंकार मत करो , अहंकार बहुत बड़ा दुर्गुण है ! 

कबीर साहेब कहते है बहुतसारे लोग जब इस भव सागर में दुखी होते है , दुख से मछली की तरह तड़पते रहते है तब कुछ लोग दुख का कारण संसार मानते है , कुटुंब , अपने लोग , स्त्री पुरुष मानते है और मुक्ति के लिये गृहस्थी त्याग कर जंगल जंगल एकांत और सुख शांति के लिये भटकते रहते हैं !  कुछ गांव कस्बा काशी जैसे शहर छोड़ कर हिमालय तप करने जाते है ! पर भाईयो यह सब बेकार है ! 

कबीर साहेब संन्यास तप योग उपवास तीर्थ यात्रा गंगा स्नान से पाप मुक्ति आदि कर्म कांड करते रहने वाले लोगोंको कहते है भाई ये बाहर का भटकाव छोड़ो, कही जाने की जरूरत नहीं , संसार त्यागने की जरूरत नहीं मै और मेरा राम मेरे पास ही है चाहे वो काशी हो या मगहर दोनों एक समान है ! 

कबीर साहेब कहते है चेतन राम तत्व को जानो यही सच्ची हरि भक्ति है , अहंकार मत करो , संसार में रहते ही धर्म निभाना है , अच्छे कर्म करना है !  तब तुम कही भी रहो कभी निराश , दुखी नहीं होंगे जैसे की कबीर साहेब कहते है  कबीर कभी निराश नहीं हुआ ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
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