Wednesday, 8 January 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Shabd : 115 : Santo Esi Bhul Jag !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : ११५ : संतो ऐसी भूल जग माहीं ! 

#शब्द : ११५ 

संतो ऐसी भूल जग माहीं, जाते जीव मिथ्या में जाहीं : १
पहिले भूले ब्रह्म अखंडित, ज़ाँई आपुहि मानी : २
ज़ाँई में भूलत इच्छा कीन्हीं, इच्छा ते अभिमानी : ३
अभिमानी कर्ता होय बैठे, नाना ग्रंथ चलाया : ४
वोही भूल में सब जग भूला, भूल का मर्म न पाया : ५
लख चौरासी भूल ते कहिये, भूलते जग बिटमाया : ६
जो है सनातन सोई भूला, अप सो भूल हो खाया : ७
भूल मिटे गुरु मिलैं परखी, पारख देहिं लखाई : ८
कहहिं कबीर भूल की औषध, पारख सब की भाई : ९

#शब्द_अर्थ : 

भूल = विस्मरण, भ्रम , दोष ! मिथ्या = असत्य ! पहिले = पहले , पूर्व के ! झाई = ज़ाँई, परछाईं, धोखा ! कर्ता = करने वाला ! बिटमाया = भ्रमित किया ! सनातन = मूलभारतीय हिन्दूधर्म विचार ! खाया = नष्ट किया ! पारखी = विवेकी ! पारख = परख, ज्ञान, प्रज्ञा बोध ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर बीजक के अन्तिम शब्द ११५ में मूलभारतीय हिन्दूधर्मी लोगोंको भूल अर्थात भ्रम से बाहर आने की बात करते हुवे बताते है की मूलभारतीय समाज अपना सनातन पुरातन आदिवासी आद्य मूलभारतीय हिन्दूधर्म को भूल गया ये बहुत बड़ी गलती हुई है ! 

कबीर साहेब कहते हैं लोग विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के मिथ्या , झूठ फरेबी बातों पर अपना स्वदेशी मूलभारतीय हिन्दूधर्म छोड़ कर विश्वास करते हैं ! ब्राह्मणों बताई बातों पर विश्वास कर की भूल के कारण वो ब्रह्म को श्रृष्टि का निर्माता मान रहे है और ब्राह्मणों को धारती के देवता ! लोग विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पांडे पुजारी ब्राह्मण ने जो वर्ण और जाति वादी अधर्म बताया और ब्राह्मणों को सर्व श्रेष्ठ मानकर खुद को दूसरे तीसरे चौथे वर्ण का मानने की भूल कर रहे है ! छुवाछूत , अस्पृश्यता विषमता को धर्म मान रहे है जब की ये अधर्म , असत्य और विकृति है ! ब्राह्मणों को मान सम्मान देने के कारण वो अहंकारी हो गये है और भ्रामक धर्म ग्रंथ वेद मनुस्मृति में खुद को सर्व श्रेष्ठ , ब्रह्मा के मुख से पैदा हुआ , धर्म ज्ञानी दाता और संरक्षक बताकर उनके धर्म ग्रंथ ब्रह्मा नामके जगत निर्माता ने खुद बनाए और जाती वर्ण उच्चनीच भेदाभेद अस्पृश्यता विषमता छुवाछूत इत्यादि का खुद संसार निर्माता ब्रह्म पालन करने का आदेश देता है और जो ब्राह्मणों की बात नहीं मानते उनको मनुस्मृति के अमानवीय कानून से दंडित करने की व्यवस्था खुद ब्रह्म निर्मित है बताते है ! 

कबीर साहेब मूलभारतीय हिन्दूधर्मी लोगों विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के भ्रमजाल से बाहर आने की बात करते है स्वदेशी लोगोंको अपनी सदविवेक बुद्धि से अच्छा क्या है बुरा क्या है इस की परख करने की बात करते है और बताते है कि भाईयो तुम्हारा स्वदेशी मूलभारतीय हिन्दूधर्म ही सनातन पुरातन चिरंतन और श्रेष्ठ धर्म है क्यू की वो शील सदाचार भाईचारा समता मानवता शांति अहिंसा आदि को मूल्यों पर आधारित समाजवादी वैज्ञानिक दृष्टि का सत्य उपदेश करने वाला संसार का आद्य धर्म है जिसने सिंधु हिन्दू संस्कृति जैसी विश्व विख्यात श्रेष्ठ संस्कृति बनाई ! 

जाति वर्ण अस्पृश्यता विषमता की बुराई और रोग से पीड़ित मूलभारतीय हिन्दूधर्मी समाज को कबीर साहेब परख करने की सिख देते है और दुखों का मूल विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म मानते हैं और उसके छोड़ने से ही विदेश ब्राह्मण जो देश और समाज के दुश्मन है धर्म के दुश्मन हैं, मानवता के दुश्मन है विश्व बंधुत्व के दुश्मन है उन्हें देश से बाहर करने कि बात करते है ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण, #अखंडहिंदुस्थान, #शिवसृष्टि

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