Thursday, 23 January 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Gyan Chountisaa : N

#पवित्र_बीजक: #प्रज्ञा_बोध : #ज्ञान_चौंतीसा : #ण 

#ज्ञान_चौंतीसा : #ण 

णणा दुई बसाये गाऊँ, रेणा ढूंढे तेरी नाउँ /
मुये एक जाय तजि धना, मरे इत्यादिक केते को गना //

#शब्द_अर्थ : 

रेणा = झगड़ा ! गना = गिनती ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर ज्ञान चौंतीसा के अक्षर ण की महता बताते हुवे कहते है भाइयों न का अर्थ है निरर्थक ! हम सब निरर्थक वस्तुएँ जमा करने में लगे रहते है ! धन संपत्ति महल माड़ी , राजसी किले , गाड़ी घोड़े , मकान दुकान सब इकट्ठा करते है और धर्म का आचरण ही छोड़ देते है ! 

इन चीजोंसे किसे सुख शांति मिली है ? न इकट्ठा करने वाले को न उसके मरने बाद जीने वालों को ! क्यू की जीते जी भी यही चीजें धन संपत्ति दुख का कारण थी तृष्णा मोह माया अहंकार का कारण थी , कमाने वाला मरे तो यही धन संपत्ति मोह माया दुख का कारण रहती है !

कबीर साहेब कहते हम दुख का कारण खुद मोल लेते है और ये कोई नई बात नहीं , जादातर संसार में यही हो रहा है , लोग आते है , मरते है पर दुख के कारण को जानते ही नहीं ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण, #अखंडहिंदुस्थान , #शिवश्रृष्टि

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