#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : ११२ : झगरा एक बढ़ो राजाराम !
#शब्द :
झगरा एक बढ़ो राजाराम, जो निरुवारे सो निर्बान : १
ब्रह्म बड़ा कि जहाँ से आया, वेद बड़ा कि जिन्ह उपजाया : २
ई मन बड़ा कि जेहि मन माना, राम बड़ा कि रामहि जाना : ३
भ्रमि भ्रमि कबिरा फिरे उदास, तीर्थ बड़ा कि तीर्थ का दास : ४
#शब्द_अर्थ :
झगरा = झगड़ा ! राजाराम = चेतन तत्व राम ! निरुवारे = सुलझाए ! निर्बान = निर्वाण , मोक्ष ! आया = पैदा हुआ !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते भाईयो सुनो चेतन तत्व राम इस जगत का निर्माता है वही परमात्मा परमपिता है वही हम सब में है , वही सर्वश्रेष्ठ सर्वोपरी और सार्वभौम अजर अमर तत्व है और मानव उसकी सर्व श्रेष्ठ निर्मिती है !
मानव मानव में भेदाभेद उचनिच अस्पृश्यता विषमता छुवाछूत जातिवाद वर्णवाद बेकार है जिन्होंने काल्पनिक ब्रह्म और ब्राह्मण खड़े कर ब्रह्मा के मुझ से ब्राह्मण, भुजा से क्षत्रिय, पेट से वैश्य और पांव से शुद्र ऐसे काल्पनिक वर्ण भेद निर्माण किये , भेदाभेद , उचनिच अस्पृश्यता विषमता छुवाछूत इत्यादि फैलाया है सब विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म निर्मित है उन्होंने अपने फायदे के लिये ये सब बनाया है !
कबीर साहेब कहते है ब्राह्मणों ही होमहवन , प्राणी हत्या घोड़े गाय की बलि , सोमरस आदि मादक पदार्थ को धर्म में स्थान दिया और शील सदाचार के बदले अश्लील और कुरीति अंधश्रद्धा को बढ़ावा दिया ! काल्पनिक देवी देवता उनके अवतार, पत्थर पूजा , मूर्ति पूजा , तीर्थ और गंगा स्नान आदि अवडंबर खड़े किये ! मानव जीवन और मानव मन को भ्रमित करने वाले विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म से मानव को सुख शांति कैसे मिलेगी ? सब से पहले इस झगड़े को सुलझाना होगा कि भाईयो तुम्हे क्या चाहिए सुख या दुख , शांति या अशांति ! सुख और शांति , दर्द का अंत यानी मोक्ष निर्वाण धर्म मे है और धर्म मूलभारतीय हिन्दूधर्म है जब की विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म अधर्म है , विकृति है , शोषण विषमता है अस्पृश्यता उचनिच भेदाभेद है , जाती वर्ण व्यवस्था है , मानव की गुलामी है ! कबीर साहेब कहते जब तक मूलभारतीय हिन्दू समाज ये फैसला नहीं करते कि उनको धर्म चाहिए या अधर्म, स्वदेशी वैज्ञानिक मूलभारतीय हिन्दूधर्म या विकृत विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म तब तक देश में सुख शांति कैसे होगी ?
कबीर साहेब मानव को मन ओर बुद्धिवाला प्राणी मानते है , मानव जीवन दुर्लभ मानते है और मानव को प्रज्ञा बोध होने के कारण गलत सही की पहचान करने वाला मानते है , चेतन राम तत्व मानते है इसलिए मानव से ही अपने सुख शांति का मार्ग बनाने चुनने की बात करते है !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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