#शब्द : १११
है कोई गुरु ज्ञानी, जगत उलटि बेद बुजै : १
पानी में पावक बरै, अंधहि आँखी न सुज़ैं : २
गाई तो नहर खायो, हरिन खायो चीता : ३
कांग लंगर फाँदि के, बटेर बाज जीता : ४
मूस तो मंजरि खायो, स्यार खायो श्वाना : ५
आदि को उद्देश जाने, तासु बेस बाना : ६
एकहि दादुर खायो, पाँचहिं भुवंगा : ७
कहहिं कबीर पुकारि के , हैं दोऊ एकै संगा : ८
#शब्द_अर्थ :
गुरु ज्ञानी = श्रेष्ठ ज्ञानी ! उलटि = गलत !
बेद = विदेशी यूरेशियन ब्राह्मणधर्म के धर्म ग्रंथ ! गाई = गाय ! नाहर = सिंह ! काग = कौवा ! लंगर = लंगूर ! फाँदि के = खुद कर ! बटेर = एक पक्षी ! बाज = शिकारी पक्षी ! मंजरि = बिल्ली ! आदि = मूल ! उद्देश = लक्ष्य ! बेस बाना = धार्मिक पोशाक ! दादुर = मेंढ़क ! भुवंगा = सांप !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते भाईयो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पाण्डे पुजारी ब्राह्मण जो खुद को बड़े ज्ञानी और श्रेष्ठ , ऊंचे , वर्ण जाति वेवस्था के हिमायती के पोशाख , भेष, वेश भूषा, पहनावा, चन्दन तिलक , जनेऊ आदि दिखावे पर मत जावो !
इनके वैदिक ब्राह्मणधर्म का मूल ही गलत धारणा पर बना है और लक्ष्य भी गलत ही है , मोक्ष निर्वाण दिलाना यह इनके धर्म का उदेश नहीं , ना वो मानवीय , शांति शील सदाचार भाईचारा समता को मानता है वो एक प्राकार का शोषण विषमता का उद्देश लिऐ बनाया गया अधर्म और विकृति है !
यह एक उल्टी रीत है जो आपके हित के विरुद्ध है मानवता के विपरीत है जैसे चूहा बिल्ली का डरा रहा है वैसे इनका उल्टा ज्ञान है !
मूलभारतीय हिन्दूधर्म स्वदेशी धर्म है सनातन पुरातन आदिवासी आद्य धर्म है जो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के आक्रमण के पहले से ही भारत में सिंधु हिन्दू संस्कृति के पूर्व से चला आ रहा पृथ्वी का प्रथम और सर्व श्रेष्ठ धर्म संस्कृती है जिसने समता भाईचारा मानवता शील सदाचार सत्य अहिंसा का वैज्ञानिक दृष्टि का धर्म संसार को दिया है यही सिंह है नाहर है केसरी है उसे विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के अनर्गल वेद गलत उद्देश से बनाए गये उनके धर्म ग्रंथ वेद और उनका गलत कानून हमे डरने के लिये बनाए है हमारी गुलामी के लिये बनाये है जिसका उद्देश्य मानवता पर कलंक वर्ण जाति वेवस्था है उचनिच भेदाभेद अस्पृश्यता विषमता छुवाछूत इत्यादि है शोषण है !
कबीर साहेब पूछते है भाइयों क्या तुम्हे विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म की गुलामी मंजूर है क्या तुम शेर नही , भेड़ बकरी हो ? नहीं ना तो उठो जागो तुम्हे गुलाम अछूत शुद्र अस्पृश्य नीच कहने वाले विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म को लात मारो , देश से बाहर करो! तुम सिंह हो मूलभारतीय हो !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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