Sunday, 19 January 2025

Pavitra Bijak: Pragya Bodh :Gyan Chountisaa : Tra

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #ज्ञान_चौंतीसा :  #त्र

#ज्ञान_चौंतीसा :  #त्र 

त्रत्रा निग्रह सनेहू , करो निरुवार संदेहू /
नहिं देखे नहिं भाजिया, परम सयानप येहू //
जहाँ न देखि तहाँ आपु भजाऊ, जहाँ नहीं तहाँ तन मन लाऊ / 
जहाँ नहीं तहाँ सब कुछ जानी, जहाँ है  तहाँ ले पहिचानी //

#शब्द_अर्थ : 

निग्रह = निवारण , त्याग ! सनेहू = स्नेह . माया  ! सयानप = बुद्धिमानी  श्रेष्ठता ! आपु भजाऊ = स्वयं भाग जाना !

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा और त्र अक्षर के माध्यम से उपदेश करते हुवे कहते है भाइयों  मन कि चंचलता का संदेह का धर्म ओर निग्रह के साथ निवारण करो ! जो संसार में दिख रहा है उससे ना दूर भागों ना उसको अपने उपर हावी न होने दो ! 

सत्य क्या है समझो, विवेक का उपयोग करों और अंधविश्वास पर आधारित कोई काम ना करो !  

संसार में लोग बड़े ठगी है , अधर्म  को धर्म बताने है शोषण ओर विषमता को धर्म कहते है  इनसे दूर रहो अधर्म का पालना कर काई सुखी नही हो सकता ! 

शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा मानवता ही सच्चा धर्म है !  माया मोह इच्छा तृष्णा से दूर रहो ये आपके वहाँ ले जाते है जो अहितकारक  है ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरु_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण, #अखंडहिंदुस्थान , #शिवश्रृष्टि

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