#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #ज्ञान_चौंतीसा : #त
#ज्ञान_चौंतीसा : #त
तता अति त्रियो नहिं जाई, तन त्रिभुवन में राखू छिपाई /
जो तन त्रिभुवन माहिं छिपावै, तत्वहि मिलि तत्व सो पावै //
#शब्द_अर्थ :
त्रियो = तीन गुण : सत रज तम ! त्रिभुवन = तीन लोक ! राखु छिपाई = रक्षा करो ! तत्व = यथार्थ, सार !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर ज्ञान चौंतीसा में अक्षर त का महत्व तात्पर्य समझाते हुवे कहते है भाईयो तत्व बड़ी महत्व पूर्ण बात है , तत्व यानी विचार, अच्छे बुरे धार्मिक अधार्मिक विचार जिस पर मानव चलता है ! अगर अधार्मिक विचार या कृत्य मानव करता है तो उसे उसके परिणाम भुगतने ही होंगे !
मानव स्वभाव में तीन गुण सत रज तम बड़े प्रभाव डालते है इस लिये इन गुणोंकी खासियत समझो और अपने ऊपर इनको हावी होने मत दो ! सब को शांति और धर्य से लो ! उसके परिणाम को समझो !
कबीर साहेब किसी भी चीज के अति से बचने कि सिख देते है , आत्म संतुष्ट रहो यह बात करते है ! अंततः सार तत्व चेतन राम को जानो और चेतन राम को पाने के लिये धर्म शील सदाचार भाईचारा समता मानवता का पालन करो यही अंतिम सत्य है !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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