Tuesday, 21 January 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Gyan Chountisaa : Tth

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #ज्ञान_चौंतीसा : #ठ 

#ज्ञान_चौंतीसा : #ठ

ठठा ठौर दूर ठग नियरे, नित के निठुर कीन्ह मन घेरे /
जे ठग ठगे सब लोग सयाना, सो ठग चीन्ह ठौर पहिचाना //

#शब्द_अर्थ : 

ठौर = स्वरूपस्थिति ! ठग = मन ! सयाना = ज्ञानी! निठुर = कठोर , निष्ठुर !

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर ज्ञान चौंतीसा में अक्षर ठ की विशेषता बताते हुवे कहते है भाइयों मानव को ठगने वाला कोई अन्य नहीं वो दूर बैठा नहीं है तुम्हारे पास ही है और वो कोई नहीं तुम्हारा मन ही है ! 

इस मन को रोज उलझन में डालने माया मोह इच्छा अधार्मिक वृति, अंहकार, तृष्णा आदि विकार मन को ग्रसित करते रहते है और मन मनमानी करते हुवे अंत में खुद को ही हानि पहुंचाता है , धर्म भूलकर अधर्म की राह पकड़ता है ! 

कबीर साहेब कहते हैं हमने उस ठग को पहचान लिया है , हमारे साथ अब मन मनमानी नही करता ! जो लोग इस बात को समझ रहे है वही ज्ञानी है , सयाने हैं !

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण, #अखंडहिंदुस्थान, #शिवश्रृष्टि

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