Thursday, 16 January 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Gyan Chountisaa : Chh

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #ज्ञान_चौंतीसा : #छ 

#ज्ञान_चौंतीसा : #छ 

छछा आहि छत्रपति पासा, छकि किन रहहु मेटि सब आसा /
मैं तोहीं छिन छिन समुझावा, खसम छाडि कस आपु बंधावा //

#शब्द_अर्थ : 

छत्रपति = सम्राट, मालिक , चेतन राम जीव ! छकि = तृप्त  ! खसम = मालिक,  जीव ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर ज्ञान चौंतीसा के अक्षर वर्ण छ का महत्व समझाते हुवे कहते है भाईयो तुम खुद के मालिक हो तुम आत्मा राम, चेतन तत्व राम हो , जो संसार में है वही तुम में है तुम्हारे पास ही है , उसे बाहर खोजने के लिए दर दर भटकने की जरूरत नहीं ! जब वो तुम चेतन जीव में है तो बाहर की मूर्ति पूजा, अग्नि पूजा , नमाज प्रार्थना सब बेकार है  क्यों कि खुद को खुश रखना है तो और अच्छा दिखाना है तो ख़ुद का चेहरा आचरण ठीक करो ! 

खुद में ख़ुदा है और बाहर ढूंढ़ते हो तो यह तो अग्यान हुआ ! भाईयो तुमने खुद परमात्मा चेतन राम को मोह माया इच्छा तृष्णा लालच अधर्म विकृत में बांध रखा और निर्मल परमात्मा को लालच अहंकार में ढूंढते हो तो वो निराकार निर्गुण अविनाशी तत्व चेतन राम तुम अंधोंको कैसे दिखाई देगा ? 

कबीर साहेब कहते सजग बनो, ज्ञानी बनो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के होमहवन आदि बाहरी दिखावा  , अंध विश्वास से बाहर आवो, विषमता विषक्त विचार से बाहर आवो तो वो मालिक चेतन राम तुम खुद में दिखाई पड़ेगा ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण, #अखंडहिंदुस्थान, #शिवसृष्टि

No comments:

Post a Comment