जैसे की हम सब जानते है इस देश में आये सभी विदेशी धर्म के लोग अल्प संख्यांक है जैसे खिस्ती , पारसी , य़हुदी मुस्लिम वैसे ही विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण धर्मी भी अल्प संख्यांक है !
मुलभारतिय हिन्दूधर्म के पंथ जैन ,सिख और बौद्ध भी अल्प संख्यांक है पर वे मुलभारतिय लोग है पर बाहर से आये धर्म जैसे धर्म के लोग आश्रय के लिये आये उनमे और आक्रमणकारी मे भेद है ! पारसी धर्म के लोग आश्रय के लिये आये थे शांती से अपना धर्म पालन करते रहे ऊँहोने न यहा के मुलभारतिय हिन्दू धर्मी लोगोंका आपने पारसी धर्म मे धर्म परीवर्तन किया ना हिन्दू धर्म मे ज़िवन पद्धती मे हस्थक्षेप किया !
खिस्ती , मुस्लिम धर्म के लोग पहले संत ,व्यापरी बनकर आये फिर आक्रमण किया फिर सत्ताधिष हुवे ,फिर धर्म परीवर्तन हुवे !
विदेशी यूरेशियन वैदिक एक वर्ण सवर्ण ब्राह्मण पहले आक्रामण , विधवंसक बनकर आये ऊँहोने यहां के लोगोंका सिधा धर्मांतर कर ऊँहे ब्राहमण नही बनाया क्यू की वो भले ही शुरू मे असभ्य विधवंसक लोग थे यहां के सभ्यता और विशालता के सामने अल्पसंख्य विदेशी यूरेशियन सवर्ण ब्राहमीण मुलभारतिय हिन्दूधर्मी .लोगो पर अपनी उपजीविका के लिये निर्भर थे ,जल्दी ही ऊँहे यहां के मुलभारतिय हिन्दूधर्मी लोगो को घर घर जा कर भीक मांगना पडा !
भीक्षा दिजिये कह ते हुवे वो झोली घर घर जाते थे ! घर के बाहर की ओटली पर बैठ कर जो दिया वो खाते थे !
बाहर ओटली पर बैठे बैठे घर के अन्दर के लोगोंकी बाते सुनते थे ! ऊनके ध्यान मे एक बात आ गयी की हर घर में कुछ ना कुछ परेशानी होती है ! खेती बाडी व्यापार स्वास्थ अती वृष्टी , सुखा और अन्य नैसर्गिक आपत्ती इनको पहले हिन्दू समाज वैग्यानिक दृष्टी से देखता था पर विदेशी ब्राहमिनो ने इसे अपने उदर निर्वाह का औजार बना दिया इन समश्या को आकाश के देवी देवता , तारे नक्षत्र शुभ अशुभ समय और जन्म पत्री गोत्र , गण आदी की एक बडी मशीन ज्योतीश विद्दया और बुरे वक्त को दुर करने के विविध अनुष्ठान आदी मन गढ़न्त अंधश्रद्धा के उपाय विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण मुलभारतिय हिन्दूधर्मी लोगोंको ऊनके घर में भीक मांगते हुवे ओटली पर बैठे बैठे सुझाते गये और दुरभाग्य से मुलभारतिय हिन्दूधर्मी लोग इनके चक्कर मे फस गये इन्होने ये नही सोचा की ये विदेशी वैदिक ब्राह्मण के लोग इन सारे उपाय कर खुद क्यू नही दुख मुक्त हो जाते क्यू घर घर जाकर भीक मांगते है क्यू दान दक्षिणा मांगते है ?
पर य़ही ओटली थी ज़िस पर विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण को बैठने दिया और वो हमारे लोगोंको अंध विस्वास मे फसा कर हमारे मुलभारतिय हिन्दू के जीवन मे घूस गया और एक जोक की तरह हमारा खुन , खुन पसीने की कमाई बैलाना ज्योतिष के चक्कर मे और आकाश के देवी देवाता ऊनके झूठे अवतार , बुत परस्ती को कबीर बैलाना कहते है , मूर्खता कहते है !
संसार मे कोई आदमी ,ज़िव जन्तु नही है ज़िसे जीवन की समश्या को झूजना नही पडता ! कबीर साहेब कहते है विवेक से जुझो ! बैलाना ज्योतिष विद्दया से नही , विदेशी वैदिक धर्म के झूठे वैदिक मन्त्र ,झूठे देवी देवता अवतार आदी पर विस्वास मत करो !
जीवन की समश्या हर किसी को है , ब्राह्मण भी इनसे अछुते नही ! हमे मुलभारतिय हिन्दूधर्म के मानव विवेकी शक्ती पर भरोसा करना चाहिये !
विदेशी ब्राहमिनोने घर के ओटली पर बैठ कर मुलभारतिय हिन्दू के जीवन इस प्रकार चंचु प्रवेश किया और फिर वर्ण जाती अस्पृष्यता ऊचनिच भेदाभेद का मकाड़ी जाल बुन डाला ! इस मकड़ी जाल को धर्मात्मा कबीर ने अपनी वाणी पवित्र बीजक मे इसे तोड कर बाहर निकलने का उपाय बताया वही मार्ग मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ ,कल्यान बता रहा है !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मुलभारती
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