#शब्द : ३०
भाई रे दुइ जगदीश कहाँ ते आया, कहु कौने बौराया : १
अल्लाह राम करिमा केशव, हरि हजरत नाम धराया : २
गहना एक कनक ते गहना, यामें भाव न दूजा : ३
कहन सुनन को दुइ कर थापे, एक निमाज एक पूजा : ४
वोही महादेव वोही महम्मद, ब्रह्मा आदम कहिये : ५
को हिन्दू को तुरुक कहावै, एक जिमी पर रहिये : ६
वेद कितेब पढ़ें तै कुतबा, वै मौलना वै पाँडे : ७
बेगर बेगर नाम धराये, एक मिट्टी के भाँडें : ८
कहहिं कबीर वै दूनों भूले, रामहि किनहु पाया : ९
ये खसी वै गाय कटावैं, बादिहि जन्म ग़माया : १०
#शब्द_अर्थ :
हजरत = स्वामी , मालिक ! कितेब = कुरान ! कुतबा = पुस्तके ! बेगर बेगर = अलग अलग ! भाँडें = बर्तन ! बादिहि = व्यर्थ विवाद !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते है भाइयों विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के लोगोने इस जमी पर जबरन कब्जा कर अपने वैदिक ब्राह्मणधर्म को वो कभी वैदिक कभी ब्राह्मण कभी स्मृति कभी आर्य आदि नाम से पुकारते है और लोगोंको गुमराह करने के लिये कभी भारतके के मूलभारतीय हिन्दूधर्म का नाम भी अपने विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के साथ जोड़ते है कभी सनातन पुरातन शब्द भी अपने आप को लगाते है मकसद केवल एक ही है अपने आप को हिन्दू बताने की कोशिश करते है पर सच्चाई ये है कि ना वो हिन्दू है ना हिंदुस्तानी !
विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधरमी खुद को झूठ ही हिन्दू कहते है इन झूठे ब्राह्मण को पंडित को और विदेशी तुर्की धर्मी लोगोंको कबीर साहेब बताते हुवे कहते है मूलभारतीय हिन्दूधर्म के परमपिता चेतन तत्व राम को ये लोग मानते नहीं और तुर्की मुहम्मद को मानते है और ब्राह्मण ब्रह्मा को ! उनके धर्म ग्रंथ वेद और कुरान है कहते है वे नहीं कहते दिनों के परमात्मा चेतन राम है ! वे निराकार निर्गुण अविनाशी तत्व चेतन राम को एकमात्र पूज्यनीय नहीं मानते ना वो चेतन राम को घट घट में मानते है वे मानव को एक और एक ही जमीन पर रहने वाले भाई भाई नही मानते और एक दूसरे को मारने के लिये दौड़ते है, ये अपने आप को एक परमात्मा चेतन राम की औलादें नहीं मानते और एक होम हवन में गाय घोड़े की बलि देता है तो दूसरा कुर्बानी देता है , इन पांडे ब्राह्मण पुजारी जो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के है और दूसरे तुर्की मुस्लिमधर्म के मौलवी है दिनों अपने आपको श्रेष्ठ, पढ़ें लिखे ज्ञानी बताते है और वेद मनुस्मृत कुरान आदि को ईश्वरी किताब , आदेश कह कर यहां के मूलभारतीय हिन्दूधर्म के आदिवासी हिन्दू समाज को अपने अपने धर्म में धर्मांतरित कर आम जनता को हमारे धर्म का है कह कर वास्तविक शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा आदि मानवीय मूल्यों पर आधारित मानवधर्म मूलभारतीय हिन्दूधर्म को मिटाना चाहते है वही बात कबीर साहेब यहां बताते हैं !
न विदेशी ब्राह्मण हिन्दू है नाहीं तुर्की मुस्लिम हिन्दू है ! केवल कुछ लोगोंको ब्राह्मणोंने धर्मांतरित कर दूसरे तीसरे दर्जे के विदेशी वैदिक यूरेशियन ब्राह्मणधर्मी बना दिये और उनको सवर्ण कह कर क्षेत्री , वाणी कहने लगे पर वो कभी पंडित पुजारि ब्राह्मण नहीं बन सकते ये लोग पहले के मूलभारतीय हिन्दूधर्मी है वैसे ही कुछ लोग तुर्की धर्म में धर्मांतरित हुवे वे लोग भी मूलभारतीय हिन्दूधर्म के ही लोग है इन्हें चेताते हुवे कबीर साहेब कहते है भाईयो दुइ यानी दो परमात्मा कहासे आये ? विदेशी तुर्की और विदेशी ब्राह्मण के बातों में ना आवो तुम हिंदुस्तानी आदिवासी मूलभारतीय हो मूलभारतीय हिन्दूधर्मी हो और संसार का एक ही निर्माता है वो है परमात्मा चेतन तत्व चेतन राम ! विवाद में ना पड़ो ! बेवकूफी भरी पंडित मौलवी की झूठी बातो में ना फंसो , कोई किताब ईश्वरी नहीं सब झूठ है , मानवधर्म मूलभारतीय हिन्दूधर्म का पालन करो नहीं तो जीवन व्यर्थ जायेगा !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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