Tuesday, 1 October 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Shabd : 18 : Ram Gun Nyro Nyro Nyro !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : १८ : राम गुण न्याराे न्याराे न्याराे !

#शब्द : १८ 

राम गुण न्याराे न्याराे न्याराे : १
अबुझा लोग कहाँ लौं बुजै, बुझनहार विचारो : २
केतेहि रामचंद्र तपसी से, जिन्ह यह जग बिटमाया : ३
केतेहि कान्ह भये मुरलीधर, तिन्ह भी अन्त न पाया : ४
मच्छ कच्छ बराह स्वरुपी, बामन नाम धराया : ५ 
केतेहि बौद्ध निकलंकी कहिये, तिन्ह भी अन्त न पाया : ६ 
केतेहि सिद्ध साधक संन्यासी, जिन्ह बनवास बसाया : ७
केतेहि मुनिजन गोरख कहिये, तिन्ह भी अन्त न पाया : ८
जाकी गति ब्रह्मे नहिं जानी, शिव सनकादिक हारे : ९ 
ताके गुण नर कैसेक पैहौ, कहहिं कबीर पुकारे : १० 

#शब्द_अर्थ : 

गुण = स्वभाव ! अबुझा = अविवेक , जो जानकार नही !  बिटमाया  = भ्रम , छलावा ! अन्त = निश्चित ! बौद्ध = गौतम बुद्ध ! निकलंकी = कल्कि अवतार ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते है भाइयों  अवतारवाद जो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के लोगोने फैलाया है वास्तविक में मनगढ़ंत है ! जो वैदिक ब्राह्मण होम हवन कर और उसमें गाय , बैल घोड़े आदि की बलि देते थे सोमरस , दारू मदिरा उस होम अग्नि को भेट करते थे और अनर्गल बातों को मंत्र कहकर उस होम हवन के सामने जोर जोर से कहकर समय बर्बाद करते थे , मांसाहार दारू लैंगिक वेभीचार को धर्म अनुष्ठान बताते थे और उनके व्यभिचारी देवी देवता ब्रह्मा , इंद्र रुद्र आदि साक्षात अग्नि से प्रगट होते हैं और इच्छित वर , वरदान देते है कहने वाले ब्राह्मणको ईश्वर अवतार लेते है कहने कि जरूरत क्यू पड़ी ? पूछते है धर्मात्मा कबीर ओर कहते है भाइयों अपना मूलभारतीय हिन्दूधर्म किसी अवतारवाद में विश्वास नहीं करता इस लिये वैदिक ब्राह्मणधर्म के मच्छ , कच्छ , वराह , सिंह ये जनावर न किसी ईश्वर के अवतार है ना वैदिक  लंपट ब्रह्मा रुद्र , इंद्र , सोम , वरुण विष्णु किसी ईश्वर के अवतार है न ईश्वर है !  ये जो जानवर थे वे जानवर थे जो मानव थे वे मानव थे , ईश्वर , भगवान , चेतन राम के अवतार नहीं ! 

उसी प्रकार मूलभारतीय भगवान शिव , राम कृष्ण , बुद्ध  ये भी केवल मूलभारतीय पुरुष थे जिन्होंने अपने मानव जीवन में मानव समाज हितकारी कुछ कार्य किये है उन कल्याणकारी कार्य लोकोत्तर कार्य के कारण वो महान पुरुष , महात्मा कहलाए और जिन्होंने तृष्णा मोह माया पर विजय प्राप्त कर निर्वाण प्राप्त किया मोक्ष प्राप्त किया और वो धार्मिक रास्ता मार्ग सब को उनके कल्याण के लिए बताया वो महान  धार्मिक दार्शनिक हुवे ईश्वर अवतार नही ! 

असभ्य विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पोंगा पंडित पुजारियों अपनी मूर्खता छिपाने और अपनी साख बचाने के लिऐ कुछ जनावर को मूलभारतीय महान पुरुष के साथ मिलाकर बिठाकर दस अवतार की मूर्खता भरी बचकानी धार्मिक मान्यता गढ़ दी यही नहीं उनकी मूर्तियां बनाकर झूठी प्राण प्रतिष्ठा को बढ़ावा दिया और बुत परस्ती को जन्म दिया ३३ करोड़ तक इसे झूठे ईश्वर अवतार पहुंचा दिया और लोगोंसे उनकी पूजा करने के बहाने अपना पेट पालते रहे और अनेक झूठी कहानीया के लिए वेद , मनुस्मृति , पुराण आदि में ये अवतार नाम का मसाला डाल दिया जिसमें असत्य नारायण पूजा की पूजा एक है ! 

कबीर साहेब कहते है चेतन राम को जिन्होंने बाहर ढूंढा सब हार गए ! 

कबीर साहेब कहते है चेतन राम कभी अवतार नहीं लेता वह कण कण में व्याप्त है , अलग से अवतार लेने की उसे जरूरत नहीं वो निर्गुण निराकार अविनाशी परमतत्व परमात्मा है जिसकी  अवस्था को खुद कबीर अपने निर्लेप निर्दोष , बेदाग , बे कलंक जीवन से प्राप्त हुवे वही मार्ग कबीर साहेब सब के कल्याण के लिए समस्त संसार को अपनी वाणी पवित्र बीजक से बताते है वही मूलभारतीय हिन्दूधर्म है !

#धर्मविक्रमादिय_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
कल्याण , #अखण्डहिंदुस्थान , #शिवसृष्टि

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