Sunday, 20 October 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Shabd : 37 : Hari Thag Thagat Sakal

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : ३७ : हरि ठग ठगत सकल जग डोलै !

#शब्द : ३७

हरी ठग ठगत सकल जग डोलै, गौन करत मोसे मुखहु न बोलै : १
बालापन के मीत हमारे, हमहिं तजि कहाँ चलेउ सकारे : २
तुमहिं पुरुष मैं नारि तुम्हारी, तुम्हरी चाल पाहनहु ते भारी : ३
माटि को देह पवन को शरीरा, हरि ठग ठगत सौं डरें कबीरा : ४

#शब्द_अर्थ : 

पाहनहु = पत्थर ! माटी = स्थूल ! पवन = सूक्ष्म ! पुरुष = चेतन राम 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते भाई इस संसार में हरि के नाम से ठगोंकी फौज तैयार हो गई है , बड़े बड़े गुरुघंटाल पैदा हो गये है इस हरि नाम ठगी से सामान्य लोग बड़े परेशान है  वैदिक पाण्डे पुजारी ब्राह्मण का धंधा जोरो पर है वो उस हरि को कभी पति कभी बाप बना देते है पर घट घट में बसे चेतन राम जो तुम्हारे अंदर है उसकी बात नहीं करते ! 

ये शरीर मिट्टी से बना स्थूल रूप है और हवा सूक्ष्म रूप है पर चेतन राम सदैव रहा है चाहे मानव गर्भ में हो बालपन में हो वह निराकार निर्गुण अविनाशी चेतन तत्व का विचार करो वैसे मां बाप भाई बहन पिता पुत्र पति पत्नी आदि निर्थक शब्द के साथ जोड़ कर और उसे बाहरी मानकर पूजा उपासना करने से कुछ हासिल नहीं होगा , खुद को सुधारो , खुद निर्लेप निर्दोष बेदाग बनो तो दुख ना हो !  पर संसार में हरि राम कृष्ण शिव आदि लाखों नाम से जो ठगी चल रही है उस झांसे में ना आवो !

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
कल्याण, #अखंडहिंदुस्थान, #शिवसृष्टि

No comments:

Post a Comment