Tuesday, 22 October 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Shabd : 38 : Hari Binu Dharm Bigurchani Gndaa !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : ३८ : हरि बिनु धर्म बिगुर्चनि गन्दा ! 

#शब्द : ३८

हरि बिनु भर्म बिगुर्चनि गन्दा, तेहि फंद बहु फंदा : १
योगी कहैं योग है नीका, दुतिया और न भाई : २
नुंचित मुंडित मौनि जटाधारी, तिन कहु कहाँ सिधि पाई : ३
ज्ञानी गुणी सुर कवि दाता, ई जो कहैं बड़ हमहीं : ४
जहाँ से उपजे तहाँ समाने, छूटि गये सब तबहीं : ५
बायें दहिने तजू बिकारा, निजू कै हरिपद गहिया : ६
कहैं कबीर गूंगे गुर खाया, पूछे सो क्या कहिया : ७

#शब्द_अर्थ : 

बिगुरचनि = उलझन , असमंजस ! गंदा = बुरा ! अपनपौ = अपनापन, स्वरूप ! नूंचित = नोचना ! मुंडित = मुण्डन ! बाये दहिने = सब तरफ ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो लोगोंने हरि, राम आदि नाम के बड़े उलझने , भ्रम पाल रखे है ! अंतरात्मा चेतन राम जो स्वरूप है चेतन तत्व है उसे छोड़ कर बाहर राम कृष्ण हरि शिव आदि मानव को परमतत्व परमात्मा मान कर उनकी पत्थर मूर्ति पूजा , नाम जप आदि और अन्य अवांछित कर्मकांड, प्राणी हत्या , होमहवन अर्पण तर्पण इत्यादि बेहूदे मंत्र जाप योग , तप आदि से धर्म को गंदा और दूषित कर दिया है ! 

कुछ लोग योगी बन गये योग को ही मुक्ति का अंतिम मार्ग मानते है तो कुछ जटाधारी साधु बने फिर रहे है तो कुछ लोगों ने सर के बाल नोच नोच कर सर गंजा कर दिया तो किसी ने बाल अस्तुरे से मुंडा कर भिक्षु बन गये है तो कुछ ने आधा सर मूंडाकर आधे इधर के आधे उधर के ब्राह्मण बने है ! ये सब लोग अपने को बड़े धर्म ज्ञानी मानते है और भी कुछ लोग है पंडित है कवि , लेखक तत्वज्ञ है सब बड़ी बड़ी बात करते है और अपने विचार उनके मार्ग उनके ज्ञान को ही अंतिम मानते हैं ! पर ये सभी लोग जन्मे और मरे भी पर वो आत्म बोध , प्रज्ञा बोध को नहीं पा सके क्यू की वो बाहरी दिखावा , छलावा में फस कर उलझकर रह गये ! राम खोजने बाहर भटकते रहे अपने अंतरमन में बसे राम को पहचान न सके ! 

भाइयों चेतना को दिये सारे बाहरी नाम बेकार है , मानव में जन्मे नाम से किसी की पूजा अर्चना प्रार्थना करना भी बेकार है ये नाम धारी भी चेतन तत्व नहीं, जन्मे खपे इंसान है ईश्वर अवतार कुछ नहीं क्यू की चेतन तत्व जिसे हम राम कहते है वह दशरथ नंदन राम नहीं ना दस अवतार का काई देवता ना ३३ करोड़ों वैदिक गप्पि भगवान ! वो केवल एक है निराकार निर्गुण अविनाशी तत्व चेतन राम जो घट घट में है तुम्हारे पास है ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
कल्याण , #अखंडहिंदुस्थान, #शिवसृष्टि

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