Wednesday, 30 October 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Shabd : 47

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : ४७ : पाण्डे बुझी पियहु तुम पानी ! 

#शब्द : ४७

पाण्डे बुझी पियहु तुम पानी : १
जेहि मटिया के घर में बैठे, तामे सृष्टि समानी: २
छप्पन कोटि यादव जहैं भीजे, मुनि जन सहस अठासी : ३
पैग पैग पैगम्बर गाड़े, सो सब सरि भौ माटी : ४
मच्छ कच्छ घरियार बियाने, रुधिर नीर जल भरिया : ५
नदिया नीर नरक बहि आवै, पशु मानुष सब सरिया : ६
हाड़ झरी झरि गुद गली गलि, दूध कहाँ से आया : ७
सो ले पाण्डे जेवन बैठे, मटियहि छूति लगाया : ८ 
वेद कितेब छांडिन देहु पाण्डे, ई सब मन के भरमा : ९
कहहिं कबीर सुनो हो पाण्डे, ई सब तुम्हारो करमा : १० 

#शब्द_अर्थ : 

भीजे =  सड़ गये !  मच्छ = मछली  ! कच्छ = कछुए !   झरि = टूटना गिरना !  गुद =  मांस ! नरक = विष्ठा ! जेवन = भोजन , खाना , अन्न ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते हैं हे विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पाण्डे पुजारी ब्राह्मण सुनो तुम्हारे वेद , मनुस्मृति आदि अन्य किताबें सब नकली और मन गढ़ंत , झूठे है ! तुम जो छुआछूत  मानते हो , अस्पृश्यता  मानते हो  और अस्पृश्य के स्पर्श के बाद खुद को  पानी में डुबकी लगाकर शुद्ध करने कर ढोंग करते हो क्या तुम जानते हो उसी पानी में न जाने किस किस की विष्ठा ,  पोट्टी  मिली हो किस किस जानवर मानुष के मृत  देह सड़ गल कर मिले हो कितने के खून और हड्डी उसमें मिली हो ! 

मूर्खों उसी पानी के सींचने से अन्न उत्पन्न होता है और इसी मिट्टीमें करोड़ों करोड़ों मूलभारतीय न केवल जिए और मरे और दफनाए गये उस धरति पृथ्वी माटी पर तुम खड़े ओर छुवाछूत , अस्पृश्यता की बात करते हो ! 

अज्ञानीवो क्या तुम्हे पता है इस धरती पर कितने ज्ञानी मुनि प्रेषित साधु संत जन्मे ? कोई हिसाब नहीं यहाँ पग पग पर कदम कदम पर कितने ही विद्वान ज्ञानी लोग गड़े पड़े है कोई मिट्टी एक ढेला ऐसा नहीं जहां कोई जीव जन्तु नहीं मर कर माटी बन गया हो उस माटी को तुम छुआछूत का जरिया बनते हो लानत है तुम पर ! 

विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पाण्डे पुजारी ब्राह्मण ये वेद मनुस्मृति जैसे फालतू  बेवकूफी भरे तुम्हारे वैदिक ब्राह्मणधर्म के तथाकथित धर्मग्रंथ अपने पास ही रख्खो हमे उनकी कोई जरूरत नहीं ! हमारा मूलभारतीय हिन्दूधर्म लोकधर्म है सिंधु हिन्दू संस्कृति का धर्म है आद्य सनातन पुरातन आदिवासी मूलभारतीय समाज का धर्म है न हम अस्पृश्यता मानते है न विषमता न छुआछूत न वेद न मनुस्मृति ना तुम्हे हमारे हिन्दू धर्म के लोग मानते है ना इंसान ! इंसानियत नाम की काई चीज तुम में बाकी नही ! धरती के तुम बोझ हो जो छुआछूत करते हो !

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
#कल्याण , #अखंडहिंदुस्थान, #शिवसृष्टि

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