#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : ४५ : को न मुवा कहो पण्डित जना !
#शब्द : ४५
को न मुवा कहो पण्डित जना, सो समुझाय कहो मोहि सना : १
मुये ब्रह्मा विष्णु महेशु, पार्वती सुत मुये गणेशू : २
मुये चन्द मुये रवि शेषा, मुये हनुमत जिन्ह बाँधल सेता : ३
मुये कृष्ण मुये कर्तारा, एक न मुवा जो सिर्जनहारा : ४
कहहिं कबीर मुवा नहिं सोई, जाको आवागमन न होई : ५
#शब्द_अर्थ :
को = कौन ! न = नहीं ! मुवा = मरा ! मोहि सना = मुझसे ! कर्तारा = विश्वकर्मा, प्रजापति ! सिर्जनहारा = चेतन तत्व , चेतन राम !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते है हे विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पाण्डे पंडितों बतावो तुम्हारे वो वैदिक ब्राह्मण देव देवी देवता ब्रह्मा इंद्र रुद्र विष्णु गायत्री सावित्री इंद्राणी तुम्हारे गुरु मरे की नहीं ? जो देहधारी ब्राह्मण धर्म के अवतार मच्छ कच्छ वराह आदि मरे की नहीं ? क्यू प्राण प्रतिष्ठा के ढोंग करते हो ? क्यू झूठे नकली करोड़ों देव देवी बताकर लूटते हो !
वैदिक ब्राह्मणधर्म के ढोंग सोंग मे तुम्हने हमारे मूलभारतीय हिन्दूधर्मी के महापुरुष जो जन्मे और कुछ अच्छे काम कर मरे उनको भी तुम्हने अपने दान दक्षिणा के फायदे के लिऐ अवतार , भगवान बनकर और अमर है कह कर बेवकूफ बना रहे हो !
विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणों ये गलत धन्दे बंद करो , छोड़ दो अब सब लोग तुम्हारे ढोंग धतूरे , होम हवन, जनेऊ संस्कार के फालतू बातों को जान चुके है ! हम मानते है हमारे मूलभारतीय हिन्दूधर्मी शिव , गणेश, पार्वती , राम कृष्ण हनुमान नागराजा शेषनाग आदि भी देहधारी व्यक्ति ही थे मानव ही थे और जैसे कि सभी जन्म लेने मरते है वैसे ही मरे है !
मूलभारतीय हिन्दूधर्म ये मानता है कि जो जन्म लेता है वह मरता है बस एक। नहीं मरता जो अमर अजर सदा ले लिए है वो है चेतन तत्व राम ! चेतन तत्व राम का कोई जन्म मृत्यु नहीं , जो जीता मरता है वो है जीव , व्यक्ति, प्राणी !
मूलभारतीय हिन्दूधर्म धर्मात्मा कबीर के इस धर्म विज्ञान को प्रज्ञा बोध को मानता है और यही अमर अजर निर्गुण निराकार अविनाशी परमतत्व परमात्मा चेतन राम के सानिध्य को प्राप्त करने के लिए सहज सरल शुद्ध निर्मल जीवन जीने की धर्म सिख देता है ताकि आपको निर्वाण मोक्ष की अवस्था का परम सुख शांति प्राप्त हो !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिंदूधर्म_विश्वपीठ
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