#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : २५ : अवधू वो तत्तू रावल राता !
#शब्द : २५ :
अवधू वो तत्तू रावल राता, नाचै बाजन बाजु बराता : १
मौर के माथे दुलहा दीन्हा, अकथ जोरि कहाता : २
मंडये के चारन समधी दीन्हा, पुत्र ब्याहिल माता : ३
दुलहिन लीपि चौक बैठारी, निर्भय पद परकाशा : ४
भातै उलटि बरातिहि खायो, भली बनी कुशलाता : ५
पाणिग्रहण भयो भौ मंडन, सुषमनि सुरति समानी : ६
कहहिं कबीर सुनो हो संतो, बूझो पण्डित ज्ञानी : ७
#शब्द_अर्थ :
वो तत्तू = ज्योति या नाद ! रावल = सैनिक , जीव ! राता = राजा , मालिक, योगी , जीव ! बाजन = इंद्रिय ! बराता = प्रकृति ! मौर = मोर मुकुट , ज्योति ! दुलहा = जीव ! अकथ = कहने अयोग्य ! चारन = आचरण ! समधी = सम बुद्धि ! पुत्र = जीव ! माता = माया , अविद्या ! दुलहिन = वृत्ति ! लिपि = लयबद्ध ! चौक = अंतकरण ! बैठारी = बिठाया , स्थिर किया ! भातै = स्वास , पका चावल , फेफड़े में हवा ! बरातिही = शरीर के अन्य अवयव ! पाणिग्रहण = बंधन , विवाह ! भौ = भवसागर , संसार ! मंडन = श्रृंगार ! सुषमनि = नाड़ी ! सुरति = लक्ष !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर हट योग को हटधर्मीता उल्टा विचार और आचार मानते हुवे उसे बेजोड़ विवाह की उपमा देकर समझाते है की हट योग मायावी है माया पर विजय नहीं ! जीव को कष्टप्रद है सुख कारक नहीं ! प्राण वायु को रोक देने आदि हट के कारण फेफड़े आदि के साथ अन्य शरीर अवयव को हानी पहुंचती है ! योगी केवल ऊंची आवाज में योग योग कहकर उसकी कितनी भी तारीफ प्रचार क्यू ना कर ले मन के मैल और विकार को साफ किये कोई चेतन राम के दर्शन नहीं कर सकता !
योग से शरीर और मन दोनों दुर्बल होते है क्यू की हटीता में सहजता नहीं , ये एक जबरदस्ती से किया गया ब्याह है जो स्वेच्छा से निर्मल जीवन जीने के लिये तैयार नहीं और उसे जबरदस्ती से योग के दिखावे भरे मंडप में चौका सजावट कर भले ही सर पर दूल्हे का ताज रख दे उस से न ये शरीर खुश है न अवयव ना जीव तो परमात्मा चेतन राम क्या खाक खुश होगा !
कबीर साहेब यही बात यहां बताते है भाइयों योग हट योग , होम हवन आदि दिखावे पर मत जावो उसमें वास्तविकता नहीं बस प्रचार है , प्रचार को मत भूलो , उसमे ना फासो ये शांति और सुख कारक मार्ग नहीं , शरीर को इस प्रकार उल्टे सीधे काम कर दुख ना दो मन के विकार माया मोह अहंकार को छोड़ो तो सुख मिले , गलत रास्ते से जावोगे तो लक्ष से भटक जावोगे , अंतिम लक्ष नहीं पावोगे !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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