Wednesday, 16 October 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Shabd : 33 : Hansa Pyaare Sarwar Taji

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : ३३ : हंसा प्यारे सरवर तजि कहाँ जाय ! 

#शब्द : ३३ 

हंसा प्यारे सरवर तजि कहाँ जाय : १
जेहि सरवर बिच मोतिया चुगत होते, बहु विधि केलि कराय : २
सूखे ताल पुरइनि जल छोड़े, कमल गये कुम्हिलाय : ३
कहहिं कबीर जो अबकी बिछुरे, बहुरि मिलो कब आय : ४

#शब्द_अर्थ : 

हंस = जीव ! सरवर = शरीर ! कमल = मुख ! मोतिया = मोती ! विषय = भोग ! केलि = क्रीड़ा , जीवन जीना ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते है भाइयों जीव चेतन राम के साथ इस धरती पर आया , सोचा बहुत सुंदर यह संसार होगा , दो दिन का मेहमान बड़ा सज धज कर आया ! और धरती के जीवन में ऐसा उलझ गया , मोह माया में ऐसा फंस गया जो करना था उन अच्छे कर्म को छोड़ कर , मोती ग्रहण करने के बजाय विषय वासना , लालच, जीभ के चोंचले को पूरा करने खाद्य अखाद्य खाने लगा ! 

कबीर साहेब कहते हैं जो सरवर रूपी शरीर है वो तो एक दिन सुखना ही था , मुख कमल भी मुर्झा जाना ही था उस सत्य को अनदेखा कर ये शरीर अब चेतन राम के लिए बोझ हो गया है तो उसे तो यह शरीर छोड़ना ही होगा ! 

कबीर साहेब कहते हैं भाईयो बड़ा अद्भुत संयोग है जीव को शिव मिलता है , चेतन राम मिलता है उस शरीर का दुष्कर्म में गलत उपयोग ना करो , न जाने कब फिर मानव जन्म प्राप्त हो ! मानव जन्म दुर्लभ हैं , जन्म जन्म के फेरे में मानव जीवन दुर्लभ है यही मौका है चेतन राम को पाने का वो खो दिए तो भव सागर में , जीवन मृत्यु के चक्र में सुख दुख के माया जाल में भटकते ही रहोगे !

कबीर साहेब ने इसी माया चक्र से बाहर आने का रास्ता उनकी वाणी पवित्र बीजक में मूलभारतीय हिन्दूधर्म के रूप में बताया है ! भाईयो जीवन व्यर्थ ना जाने दो , सदधर्म का पालन करो अधर्म छोड़ो , मानव जन्म बार बार इतनी आसानी से नहीं मिलता उसका सद उपयोग करो ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
कल्याण, #अखंडहिंदुस्थान, #शिवसृष्टि

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