Tuesday, 8 October 2024

Sanatan Mulbhartiya Hindhudharm !

#हिन्दुस्थानी_लोग_और_धर्म !

हिन्दुस्तान, हिन्द , अल-हिन्द , होडू नामों से जाना है इंडिया ! इन सब मे सब से पुराना नाम है हिन्द ! विदेशी लोग सही उच्चारण नही करते थे इस लिये होडू भी कहते थे अरबी ईराणी लोग अल हिन्द कहते थे और यूनानि लोग यानी ग्रिक लोग हींडो इंडो कहते थे !

अशोक और मौर्य सामराज्य के सभी राजा को किंग ऑफ हींडो कहाँ गया , बुद्ध के समय भी ईस देश नाम हींडो ही था पर बुद्ध धर्म मे प्रयुक्त शब्द अरिय य़ानी श्रेष्ठ यह शब्द प्रचालित हुवा और देश को आर्य वर्त य़ानी श्रेष्ठ लोगोका देश कहने जाने लगा ! 

गोंण्डवाणा नागभूमि ये शब्द बृहाद य़ानी अनेक देशो के खण्ड को कहाँ गया ज़िसे हम आज आशिया खण्ड कहते है ! नाग संस्कृती का विस्तार आज के आफ्रीका , अमेरिका , आष्ट्रेलिया खण्ड मे भी देखे जा सकते है , मिश्र के धर्म संस्कृती पर नाग संस्कृती की छाप दिखाई देती है जो विग्यानिक और समतावादी नजर आते है वही यूरेशियां से निकले लोग शुद्ध रक्त और वर्ण वादी नजर आते है जो असभ्य मालुम पडते है ! इसरायेल , पारसी और ब्रहमान इनका धर्म विचार इस वर्ग मे आता है !  

बुद्ध ने अपना धर्म बताया तब महाविर भी अपना धर्म बता रहे थे वे महाविर के पूर्वजोंको जीन कहते थे और बुद्ध अपने पूर्वज को बुद्ध कहते थे ईसलिये दोनोके धर्म को जीनधर्म , बुद्धधर्म कहा गया और वही नाम आगे प्रचालित हुवे ! 

फिर बुद्ध को अपने धर्म को येच धर्म सनातनो क्यू कहना पडा ? क्यू आज भी जैन धर्मी अपने हिन्दू मानते है ? क्यू नया धर्म सिख धर्म के लोगोंको खुद को हिन्दू कहने मे कोई संकोच नही होता ? इसका कारण जीन और बुद्ध शब्द मोह माया मद मत्सर आदि विकार पर विजय पाने वाले ज़ितेन्द्र और ग्यानी इस गुण वाचकता दर्शाने वाले है जब की उनके पूर्वजोंका धर्म हींडो का धर्म हिन्द धर्म य़ा हिन्दूधर्म था ! मुलभारतीय हिन्दुस्थानी नेटीव आदिवाशी का धर्म हिन्दूधर्म था ईसलिये हींडो इंडो संस्कृती के मुलभारतिय हिन्दूधर्मी लोगोने इस देश पर पहले आक्रमण कारी यूरेशियन असभ्य वैदिक ब्राहण और उनका विषमातावादी रक्त शुद्धीवादी वर्णवादी विचार को ईस के पुरातन सनातन आद्य लोकधर्म मुलभारतिय हिन्दूधर्म को ना सिख धर्म के संस्थापक नानकदेव ना बुद्धधर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध ना जैन धर्म के आखरी तिर्थन्कर महाविर भूल पाये ! इसलिये सभी लोग मुलभारतिय हिन्दूधर्म को अपना पूर्वज पितामह येच धर्म सनातन कहते है इन सभी धर्म का आधार समता भाईचार है जब की शांति अहींसा आत्मा परमात्मा आदि पर कुछ कुछ थोडे अधिक मतभेद हो सकते है जैसे जैनी ईश्वर को नही मानते वो कहते है नर करणी करे तो नारायण हो जाये , भगवान बुद्ध ईश्वर पर चुप रहे और शिल आचरण करो तो ईश्वर है य़ा नही खुद जान जावोगे इस विचार के रहे जब की नानकदेव कबीर का विचार आगे ले गये जो निराकार निर्गुण अविनाशी चेतन राम को मानने वाला है पर कबीर जैसी अहींसा को नही मानते !

तात्पर्य ये है की जैन सिख बुद्ध धर्म मुलभारतिय हिन्दूधर्म सनातनधर्म मानते है और उससे वे निकले है यह सत्य स्विकार करते है ! हम सभी सनातन समतावादी धर्म है और विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म धर्म नही सनातन गंदगी , विकृती अधर्म है जैसा इस सृष्टी मे देखा जाता है धर्म की अधर्म और अधमी लोगोंसे सदा ही लधाई ,संघर्ष रहा है ! 

#नेटीवीस्ट_डीडी_राऊत दौलतराम 
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#जगतगुरू_नरसिंह_मुलभारती 
#मुलभारतिय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
कल्याण , #अखंडहिन्दुस्थान , #शिवशृष्टी

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