Saturday, 5 October 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Shabd : 22 : Avadhu Chhadahu Man Vistara !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द : २२ : अवधू छाड़हु मन विस्तारा ! 

#शब्द : 

अवधू छाड़हु मन विस्तारा : १
सो पद गहों जाहि ते सदगति, पारब्रह्म सो न्यारा : २
नहीं महादेव नहीं मोहम्मद, हरि हजरत कछु नाहीं : ३
आदम ब्रह्मा नहिं तब होते, नहीं धूप नहिं छाहीं : ४
असी सहस पैगम्बर नाहीं, सहस अट्ठासी मुनी : ५
चन्द सूर्य तारागण नाहीं, मच्छ कच्छ नहिं दूनी : ६
वेद कितेब सुमृत नहिं संजम, नहिं जीवन परिछाई : ७
बाँग़ निमाज कलमा नहिं होते, रामहु नाहिं खुदाई : ८
आदि अन्त मन मध्य न होते, आतश पवन न पानी : ९ 
लख चौरासी जीव जन्तु नहिं, साखी शब्द न बानी : १०
कहहिं कबीर सुनो हो अवधू, आगे करहु विचारा : ११
पूरण ब्रह्म कहाँ ते प्रगटे, कृत्रिम किन्ह उपराजा : १२ 

#शब्द_अर्थ : 

अवधू = सन्यासी, त्यागी , विरक्त, अवधूत ! मन विस्तारा = मन कल्पना ! सो पद = निज स्वरूप , चेतन राम ! सदगति = मोक्ष , छुटकारा ! हजरत = महात्मा , महाशय ! संजम = संयम ! परिछाई = माया ! आतश = अग्नि ! कृत्रिम = बनावटी ! अपराजा = उत्पन्न किया !

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते भाईयो , हे साधु सन्यासी , संतो , महात्मावो , अवधूतों , योगी वो सुनो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के मनगढ़ंत ब्रह्म , पूर्णब्रह्म , ब्रह्मा , ब्राह्मण और उनके साथ जुड़े ढोंग धतूरे , जनेऊ होमहवन गाय घोडे की यज्ञ बलि उसमें खाने पीने के अन्न धान्य , घी आदि का अग्नि में नाहक जलाना केवल उनकी बर्बादी है न ब्रह्मा ईश्वर , देव , भगवान या श्रृष्टि का संसार का निर्माता है न उनके लंपट भगवान इंद्र रुद्र वरुण विष्णु आदि देव है ! सब झूठ है ! मन की कोरी कल्पना है ! 

वैदिक ब्राह्मणधर्म की पोथी पुराण वेद मनुस्मृति सब मानव निर्मित लोगों उल्लू बनाने के लिये लिखे गये है , सामान्य लोगों के शोषण के लिए लिखे गये है न उसमें धर्म है ना नीतिमत्ता ! ये सब विकृति से भरा पड़ा है ! 

विदेशी तुर्की धर्म का भी विदेशी वैदिक यूरेशियन ब्राह्मणधर्म जैसा ही हाल है ये भी मानव निर्मित ही है , प्रेषित , ईश्वर का अवतार , उसका बेटा ईत्यादि सब झूठ है ! 

हमे मानव हितकारी धर्म संस्कृति चाहिए जो समता भाईचारा मानवता शील सदाचार अहिंसा आदि मानवीय मूल्यों पर आधारित सत्य सनातन पुरातन समतावादी मानवतावादी समाजवादी वैज्ञानिक मूलभारतीय हिन्दूधर्म चाहिए , हमे पत्थर पूजा , अवतारवाद , देवी देवता का झूठा दिखावा और उससे होने वाली लुटमार से बचना है ! 

भाइयों ये संसार अनादि है अनंत है और उसका चालक पालक संहारक केवल एक परमात्मा है निराकार निर्गुण अविनाशी तत्व चेतन राम जो कण कण में है हम सब में है और हम सब उसमें है और वह केवल निर्मल निरागस मन से ही उसके अस्तित्व का अहसास होता है ! स्वयम उसके अहसास को करो उसके लिए किसी पोंगा पंडित पुजारि , मुल्ला मौलवी की और उनके धर्म की जरूरत नहीं ! मूलभारतीय हिंदूधर्म अपने देश में सनातन पुरातन काल से रहा है जो आत्मबोध प्रज्ञाबोध से आपको चेतन राम के दर्शन करने योग्य बनाता है वो धर्म लोकधर्म , आदिधर्म , आदिवासी मूलभारतीय हिन्दूधर्म ही मै बताता हूं ! 

हमारा मूलभारतीय हिन्दूधर्म स्वानुभव पर आधारित मानव कल्याण के लिये है ढोंग धतूरे के लिये नही ईश्वर के नाम पर ठगी के लिये नही ! चेतन राम हमारे पास हमारे भीतर वृदय में है उसे अन्य जगह क्या खोजना ! उस अंतरमन में बसे चेतन राम को कल्याणकारी समाज हितकारी शुद्ध जीवन सत्य की उपासना , शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा के आचरण से जगावो तो राम के दर्शन हो ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
कल्याण, #अखण्ड_हिंदुस्थान, #शिवसृष्टि

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