#शब्द :
हंसा हो चित चेतु सकेरा, इन्ह परपंच कैल बहुतेरा : १
पाखण्ड रूप रचो इन्ह तिरगुण, तेहि पाखंड भुलल संसारा : २
घर के खसम बधिक वै राजा, परजा क्या धौं करै विचारा : ३
भक्ति न जाने भक्त कहावै, तजि अमृत विष कैलिन सारा : ४
आगे बड़े ऐसेहि बूडे, तिनहुँ न मानल कहा हमारा : ५
कहा हमार गाँठि दृढ़ बाँधो, निशि बासर रहियो हुशियारा : ६
ये कलि गुरु बड़े परपंची, डारि ठगौरी सब जग मारा : ७
वेद कितेब दोउ फंद पसारा, तेहि फंदे परू आप बिचारा : ८
कहहिं कबीर ते हंस न बिसरे, जेहिमा मिले छुडावनहारा : ९
#शब्द_अर्थ :
सकेरा = जल्दी ! इन्ह = भ्रामक गुरु ! पाखण्ड = छल , कपट ! खसम = मालिक ! धौं = भला ! बिसरे = भूले !
#प्रज्ञा_बोध :
धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो आप वो चेतन राम हो जो सब कुछ समझ सकते हो , विवेकी हो ! तब भी मुझे यह कहते हुवे दुख होता है आप जैसे हंस , ज्ञानी लोग भी विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के विकृत अधर्म के झूठ पाखंड के जाल में फंस गये है !
विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के पाण्डे पुजारी ब्राह्मण ने त्रिगुण, त्रिदेव जैसे झूठे फरेबी आख्यान रच कर ब्रह्मा , विष्णु जैसे लंपट को हमारे आदिवासी मूलभारतीय हिन्दूधर्म के भगवान शिव को मिलाकर त्रिदेव की बकवास कथा रच डाली ! मनुष्य को त्रि गुण होते है ऐसे झूठे मक्कार विचार से खुद को श्रेष्ठ और मूलभारतीय को नीच शुद्र अस्पृश्य तक कह डाला चार वर्ण , गुणकर्म आदि के बाद जाती और उसमें जातिवाद उचनिच आदि बंधन से आप जैसे ज्ञानी को गुलाम बनाकर खुद मालिक बन बैठे !
देवी देवता , होम हवन जनेऊ संस्कार , प्राण प्रतिष्ठा , अवतार आदि मनगधन्त बाते बनाई और इस काल को कलंकी अवतार का काल कह कर लोगोंको डराया , भूत प्रेत , शुभ अशुभ , स्वर्ग नरक आदि से पहले विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्म के लोग डराते रहे वैसे ही तुर्की धर्म के मुल्ला मौलवी डराने लगे , इनका वेद मनुस्मृति और उनका कुरान और फतवे से लोग परेशान है गये और अपने देश का खुद का उत्तम धर्म मूलभारतीय हिन्दूधर्म छोड़ कर इनके पीछे जा कर मानव का श्रेष्ठ विवेकी जीवन बर्बाद करने लगे !
कबीर साहेब कहते हैं भाईयो तुम्हारा अपना मूलभारतीय हिन्दूधर्म ही उत्तम है होशियार हो जावो उसका ही पालन करो इसमें ना जाति है ना वर्ण ना उचनिच ना भेदाभेद , न होम हवन , जनेउ ना पंडा पुजारी लुटारु न ब्राह्मण कसाई न लंपट ब्रह्मा विष्णु न उसके अवतार , न प्राण प्रतिष्ठा न बुत परस्ती ! सहज सरल जीवन मार्ग है शील सदाचार भाईचारा समता शांति अहिंसा आदि मानवीय मूल्यों पर आधारित आदिधर्म सनातन पुरातन समतावादी मानवतावादी समाजवादी वैज्ञानिक मूलभारतीय हिन्दूधर्म !
#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस
#दौलतराम
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ
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