Saturday, 19 October 2024

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Shabd : 36 : Hari Thag Thagat Thagouri Lai !

#पवित्र_बीजक : #प्रज्ञा_बोध : #शब्द ; ३६ : हरि ठग ठगत ठगौरी लाई !

#शब्द : ३६

हरि ठग ठगत ठगौरी लाई, हरि के वियोग कैसे जियहु रे भाई : १
को काको पुरुष कौन काकी नारी, अकथ कथा यम दृष्टि पसारी : २
को काको पुत्र कौन काको बाप, को रे मरैं का सहै संताप : ३
ठगि ठगि मूल सबन का लीन्हा, राम  ठगौरी काहु न चीन्हा : ४
कहहिं कबीर ठग सो मन माना, गई ठगौरी जब ठग पहिचाना : ५

#शब्द_अर्थ : 

हरि = चेतन राम  ! ठग = लुटेरा ! वियोग = अलग होना , बिछुड़ना ! यम = मृत्यु ! 

#प्रज्ञा_बोध : 

धर्मात्मा कबीर कहते हैं भाईयो चेतन राम जिसे कुछ लोग भगवान परमात्मा भी कहते है उसने यह सृष्टि बनाई वह संसार के कण कण में है  वही है , वही है और कुछ नही ! वह निराकार निर्गुण अविनाशी प्रत्यक्ष सर्वव्यापी सार्वभौम है ! वह सत्य है शिव है यानी कल्याणकारी है और सुंदर अर्थात इस संसार में राम ही राम है तो कोई असुंदर हो नहीं सकता ! इस लिये उसे पहचानो वो तुम खुद भी हो !  

उसका न कोई जन्म है न मृत्यु केवल जूडना टूटना और फिर नई निर्मिति यही निरंतर प्रकृति चल रही है टूटना वियोग है जिसे लोग मृत्यु भी कहते है साथ साथ वही जुड़ना भी है उसे लोग जन्म कहते है ! 

राम ही राम सर्वत्र है तो क्या बेटा क्या बाप क्या पति क्या पत्नी किसकी मृत्यु किस का वियोग ? किस बात का संताप किस बात का दुख ?  सब हमारे मन का भ्रम है जिसे हमने माया मोह इच्छा रिश्ते नाते के कारण बनाए है , इस से मुक्त होकर जरा अपने राम स्वरुप को पहचानो तो सारे मोह माया के बंधन छूट जायेंगे ! पर ये करने के बजाय हमने न केवल रिश्ते नाते के बंधन में अपने को बंद कर दिया है खुद चेतन राम को अपने से अलग मान कर उसके पुतले मन मोहि विचित्र चित्र बनाए रखे है , उसको अवतार बना दिया , फिर मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा कर दिया और ये सारी ठगी कर उसी ठगी से अपने मुक्ति की गुहार प्रार्थना , पूजा अर्चना कर रहे हो यह तो बहुत बड़ी , बहुत भारी ठगौरी उसी राम के नाम से हो रही और तुम राम खुद ही ठग ठगौरी बन गए !  

कबीर साहेब कहते है ठग तुम्ह ही हो , ठगी भी तुम्हारे साथ तुम्ही ने कि है जरा इस मन कि उलझन से बाहर आवो तो चेतन राम के दर्शन हो और तुम्हे मुक्ति मिले ! 

#धर्मविक्रमादित्य_कबीरसत्व_परमहंस 
#दौलतराम 
#जगतगुरू_नरसिंह_मूलभारती 
#मूलभारतीय_हिन्दूधर्म_विश्वपीठ 
कल्याण, #अखंडहिंदुस्थान, #शिवसृष्टि

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