पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : बसंत : 10 : 1
बसंत : 10 : 1
सबहिं मद माते कोई न जाग , संगहि चोर घर मूसन लाग !
शब्द अर्थ :
सबहिं = सब लोग ! मद माते = अहंकार अग्यान के कारण ! कोई न जाग = सब सोये हुवे , किसीमे जागृती नही ! संगहि = साथ मे ही ! चोर = चोरी काराने वाला , ड़ाकु ! घर मूसन लाग = घर मे चुहोने घर बनाना !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर बसंत दस के प्रथम पद में बताते है की बहुत सारे लोग हुवे है ज़िन्होने असत्य को सत्य माना और अपना जीवन व्यर्थ गमाया क्यु की वे अपने शरीर मन में घर किये माया मोह अहंकार को ठिक से पहचान न सके इसके अनेक उदाहरण कबीर साहेब आगे देते है !
धर्मविक्रमादित्य काबिरसत्व परमहंस
दौलतरां
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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