पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : बसंत : 9 : 3
बसंत : 9 : 3
पृथु गये पृथिवी के राव , त्रिविक्रम गये रहे न काव !
शब्द अर्थ :
पृथु = एक महाप्रतापी राजा जो इस धरती का चक्रवर्ती हुवा ज़िसके नाम पर धरती को पृथ्वि कहा गया ! पृथिवी = धरती ! राव = राजा , मालिक , रावत , धर्तीपुत्र ,आदिवाशी ! त्रिविक्रम = एसे महापराक्रमी तीन राजा जैसे पृतु बली आदी !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर बसंत के इस पद में उन महा प्रतापी राजा का ज़िक्र करते है ज़िन्हे विक्रमादित्य कहा गया है जैसे पृतु , बली , भरत आदी जो इस धरती के मालिक माने गये वो भी सदा के लिये ज़िवित नही रहे ना हमेशा के लिये इस धरती के एकमात्र मालिक ! फिर जो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मणधर्मी पंडे पूजारी संकराचार्य आदी जो खुद को ब्रह्मा के मुख से पैदा हुवे बताते है और कव्वे की तरह काव काव कारते है उनकी हैसियत क्या ?
कबीर साहेब केवल तत्व चेतन राम को अविनाशी अजार अमार और सब का निर्माता पिता मालिक मानते है जो निराकार निर्गुण सार्वभौम सत्य है ! उसके शिवाय अन्य कोई बडा नही चाहे ज़ितनी बकवास काव काव विदेशी ब्राह्मण कर ले उनका धर्म ना धर्म है ना संस्कृती संस्कृती है वह पुरी तरह अधर्म और विकृती है !
धर्मविक्रमादित्य कबिरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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