Wednesday, 10 September 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 9 : 2

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : बसंत : 9 : 2

बसंत : 9 : 2 

गये बेनु बलि गये कंश , दूर्योधन को बूडों वंश ! 

शब्द अर्थ :

गये = समाप्त हुवे ! बेनु बलि = महा बलशाली राजा बलि , महाप्रतापी बली ! दूर्योधन = महाभारत का एक बलशाली पात्र ! वशं = आगे की पिढ़ि , अवलादे ,राज्य , सामराज्य , सत्ता ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर बसंत के इस पद में महा बलशाली , महा दाणी और महा अहंकारी को एक ही जैसा परस्त होना पडा यह बताते हुवे अनावश्यक दातृत्व जैसे की महा बलशाली बली था और एक विदेशी यूरेशियन वैदिक धर्मी ब्राह्मण वामन को उसने बिना सोचे समझे केवल अधिक दाणी महादाणी होने की ख्याती या नाम को बनाये रखाने के लिये जाती वर्ण ऊचनीच भेदाभेद अस्पृष्यता छुवाछुत वादी , विषमाता शोषण वादी विदेशी यूरेशियान वैदिक ब्राह्मण को हिन्दुस्तान उनके वसाहत के लिये रहने के लिये जगह दिया पनाह दिया जैसे कोई मेंधक अपना शत्रू साप को अपने घर रहने की अनुमती दे और खुद के वंश पर आफत लाये वैसे ही महा बली राजा ने अती उदारता के कारण अपने कुल खान्दान वंश का नाश किया जैसे अती कृपाण अती कंजुसी अती हाव के कारण दूर्योधन ने अपने रक्त कुल के चचेरे भाई पांडव को जमीन का सूई का आकार का तुकडा भी नकारकर दुष्मनी , युद्ध और अंतता महाविनाश और वंश का विनाश मोल लिया ! इस लिये कबीर साहेब कहते है अती मत करो 
 सरल सामान्य रहो न जादा अहंकारी बनो न अती दाणी ! सहज सरल योग का मार्ग अर्थात शिल सदाचार समता भाईचार अहिंसा का मुलभारतिय हिन्दूधर्म ही उत्तम धर्म है ! 

धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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