Sunday, 7 September 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 8 : 3

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध  : बसंत  : 8 : 3

बसंत  : 8 : 3

उलटी  पलटी  बाजु  तार , काहू  मारै  काहू उबार  ! 

शब्द  अर्थ  : 

उलटी  पलटी  = सिधी  ऊलटी , विपरित विचार वाली  ! काहू  मारे  = किसे  मारे  ,  किसे  हिनता का  भाव  दे , बर्बाद  करे ! काहू  उभार  = किसे  अभीमान  गर्व  से  भरे ,अहंकार  से  भरे  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  बसंत  के  इस  पद  में  कहते  है माया  का  खेल  बडा  अजीब   है  कहि  कहि  तो  वो  लोगोंके  मन  मे  खुद  के  लिये कमी  का  भाव निर्मांण कर  गलत   कार्य  ,अधर्म  जैसे  चौरी  झूठ  बोलना  आदी  कुकर्म  कराती  है  तो  कहि  कहि  लोगोंके  मन  मे  अहंभाव , अहंकार  गर्व निर्मांण कर  अन्य  पर  अत्याचार  बलात्कार  कराती है  जैसे  धनी  लोग  बाहुबली   मालदार  रसुकदार  ,सत्ताधिष  लोग  गरीब  प्रजा  के  साथ  बर्ताव करते है  !  

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व  परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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