Sunday, 14 September 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 9 : 6

पवित्र  बीजक  : प्रग्या बोध  :  बसंत  : 9 : 6

बसंत  : 9 : 6

गोपीचन्द  भल  कीन्ह  योग  , जस  रावण  मारयो करत  भोग  ! 

शब्द  अर्थ  : 

गोपीचन्द  = एक  राजा  जो  हट योग  मचिन्द्रनाथ का  शिष्य  हुवा  और  योगी  था  ! भल  कीन्ह  योग  = जीवन  भर  योग  आसन  आदी  लगाता   रहा  पर  उसे  कोई  फायदा  नही  हुवा  उल्टे  दुख  झेलने  पडे  ! रावण  = रामयण  का  खल  नायक  विदेशी  यूरेशियन  वैदिक  ब्राह्मण  धर्मी  होम  हवन  करता  था  और  भोगी  था  ! 

प्रग्या  बोध : 

परमात्मा  कबीर  बसंत  के  इस  पद  मे  हट  योगी  माचिन्द्रनाथ  का  शिष्य  राजा  गोपिचन्द  का  उदाहरण  देते  हुवे  कहते  है  योग  करने  से  कुछ  नही  होता  है  वैसे  ही  होम  हवन  करने   वाला  ब्राह्मण  रावण  भी  वेद  और  वैदिक  धर्म  का  पालन  कर  सभी  प्रकार  के  भोग  होम  बली  , हत्या  , स्त्री अपहरन  ,लंपट  वृति  लोगोंको  फसाना छल कपट ,   झूठ  बोलना  आदी  ब्राह्मणधर्म  के  भोगधर्म  को  श्रेष्ठ  मानता  था वो  भी  भोग  के  अती  के  कारण  मारा  गया  ! न  अती  हट  योग  ठिक  है  न  अती  भोग  ठिक  है  यही  बात  धर्मात्मा कबीर   हमे  यहाँ  समझाते  है  !

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व  परमहंस 
दौलतरां 
जगतगुरू  नारसिंह  मुलभारती
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान  , शिवशृष्टी

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