पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : बसंत : 10 : 8
बसंत : 10 : 8
सत्य सत्य कहैं सुमृति वेद , जस रावण मारेउ घर के भेद !
शब्द अर्थ :
सत्य सत्य कहैं = सच है कहते कहते ! सुमृति = स्मृती , मनु स्मृती , विदेशी यूरेशियान वैदिक ब्राह्मंण धर्म का जाती अस्पृष्यता आदी कानुन ! वेद = विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण वर्ण भेद वादी धर्म ग्रंथ ! जस रावण = जैसे रावण , रामायण का वैदिक ब्राह्मण ! मारेउ = मारा गया ! घर के भेद = उसका भाई विभीषण ने भेद खोलने के कारण !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर बसंत के इस पद में बताते है की विदेशी वैदिक ब्राह्मणधर्म के स्मृती , वेद कानुन और धर्मग्रंथ ने ज़िस प्रकार देश के अन्य लोगोंको निचा , अछुत , अस्पृष्य , शुद्र आदी कह कर अपमानित किया , प्रताडीत किया , शोषण किया वैसे ही वैदिक धर्मी रावण ने उसका सगा भाई विभिषण को अपमानित किया जो रावण को अधर्म त्यागने और धर्म से चलने की बात कारता था वैसे ही मुलभारतिय हिन्दूधर्मी लोग बार बार वर्ण जाती वादी भेदभाव ऊचनीच अस्पृष्यता वादी छुवाछुत वादी शोषण वादी वेद और मनुस्मृती के विकृती अधमी ग्रंथ त्याग कर मुलभारतिय हिन्दूधर्म का शिल सदाचार भाईचारा समता ममता अहिंसा विश्वबंधुत्व और विग्यानिक दृष्टी का सनातन पुरातन आदिवाशी मुलभारतिय लोग धर्मं जो विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण धर्मी लोगोंके आक्रमण के पूर्व से विद्दयामान है और जग विख्यात सिंधुहिन्दू गणराज्य , लोकशाही समाजवाद का पुरसकर्ता रहा है उसे अपनाने और वैदिक ब्राह्मणधर्म त्यागने की बात मुलभारतिय हिन्दूधर्मी करते रहे पर उनकी बात मानी नही गई जैसे रावण उसके भाई विभीषण की बात नही मानी और द्रुस्ट रावण का पतन हुवा वैसे अब विदेशी यूरेशियन वैदिक ब्राह्मण धर्मी लोग पुरे विश्व मे तिरस्कर्णीय और त्याज्य बन गये है जैसे रामायण का रावण !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतरां
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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