पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : बसंत : 10 : 6
बसंत : 10 : 6
माते शुकदेव उद्धव अक्रूर , हनुमत माते लै लंगूर !
शब्द अर्थ :
माते = के लिये , के कारण , अहंकारी ! शुकदेव उद्धव अक्रूर = ये भूतकाल में हुवे ग्यानी समझे जाते है ! हनुमत = हनुमान , बजरंग बली , रामायण का पसिद्ध पात्र ! लै लंगुर = बन्दर रूप !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर बसंत के इस पद में बताते है की अहंकार इच्छा तृष्णा माया मोह के कारण निर्मांण होता है और इस अहंकार से बडे बडे ग्यानी , शक्तीशाली और धर्म जानने वाले लोग जैसे शुकदेव , अक्रूर , उद्धव , पांडव और राजा राम के महा बलशाली सेवक हनुमंत हनुमान बजरंग बली , केशरी को भी अहंकार में हसने के कारण भगवान को भी लंगुर का चेहरा लग गया था ! इसलिये माया मोह इच्छा तृष्णा से बचो , शक्ती , धन संपत्ती , ऊचे पद प्रतिष्ठा का अहंकार ना करो ! सब का गर्व अहंकार एक दिन परमात्मा चेतन राम एक दिन हरता ही है ! गर्व अहंकार निरर्थक है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतरां
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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