Sunday, 21 September 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 10 : 6

पवित्र  बीजक  : प्रग्या  बोध :  बसंत  : 10 : 6

बसंत  : 10 : 6

माते  शुकदेव  उद्धव  अक्रूर , हनुमत  माते  लै  लंगूर ! 

शब्द  अर्थ  : 

माते  = के  लिये  , के  कारण  , अहंकारी  ! शुकदेव  उद्धव  अक्रूर   =  ये  भूतकाल  में  हुवे  ग्यानी  समझे  जाते  है ! हनुमत  = हनुमान  , बजरंग  बली , रामायण  का  पसिद्ध   पात्र  ! लै  लंगुर  = बन्दर  रूप  ! 

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर बसंत  के  इस  पद  में  बताते  है  की  अहंकार  इच्छा  तृष्णा  माया  मोह  के  कारण  निर्मांण  होता  है  और  इस  अहंकार  से  बडे  बडे  ग्यानी  , शक्तीशाली और  धर्म  जानने  वाले  लोग  जैसे  शुकदेव  , अक्रूर  , उद्धव , पांडव  और  राजा  राम  के  महा  बलशाली  सेवक  हनुमंत  हनुमान  बजरंग  बली , केशरी  को  भी   अहंकार में हसने  के  कारण  भगवान  को  भी  लंगुर  का  चेहरा  लग  गया था !  इसलिये  माया  मोह  इच्छा  तृष्णा  से  बचो , शक्ती , धन  संपत्ती , ऊचे  पद  प्रतिष्ठा का  अहंकार  ना  करो  ! सब  का  गर्व  अहंकार  एक  दिन  परमात्मा  चेतन  राम  एक  दिन  हरता  ही  है  ! गर्व अहंकार  निरर्थक  है  !

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व परमहंस 
दौलतरां 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान  , शिवशृष्टी

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