Monday, 1 September 2025

Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Basant : 7 : 7

पवित्र  बीजक  :  प्रग्या  बोध  : बसंत  : 7 : 7

बसंत  : 7 : 7

मुख  फारि  हँसे  राव  रंक  , ताते  धरे  न  पावै  एको  अंक  ! 

शब्द  अर्थ  : 

मुख  फारि  = दात  दिखते  हुवे  !  हँसे  राव रंक  =  हाँसी  जैसा  लेना , मजाक  समझना  ! ताते  धरे   = उसको  ठिक  मानने  वाले  ! न  पावै  एको  अंक  = कोई  भी  ठिक  न  समझना  !  

प्रग्या  बोध  : 

परमात्मा  कबीर  बसंत  के  इस  पद  में  उन  लोगोको  अमान्य  करते  है  जो  केवल  दुसरे  पर  हसने  का  काम  करते  है  इन लोगोमे  कबीर  साहेब  गरीब  और  अमीर  पढे  लिखे  अनपढ  भी  है  जो  कबीर  साहेब  की  सिख  को  हँसी  पर  ले  रहे  है  जब  की  कबीर  साहेब  ने  इन्ही  लोगोंके  भलाई  के  लिये  सत्य  सनातन  पुरातन  आद्य  आदिवाशी  मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  बताया  है  जो  विदेशी यूरेशियान  वैदिक  ब्राह्मणधर्म  नकारता  है  जो  वेद  और  भेद  मनुस्मृती  और  छुवाछुत  अस्पृष्यता  विषमाता  शोषण  पर  आधारित  है  अधर्म  है  विकृती  है  ! 

धर्मविक्रमादित्य  कबीरसत्व  परमहंस 
दौलतराम 
जगतगुरू  नरसिंह  मुलभारती 
मुलभारतिय  हिन्दूधर्म  विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड  हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

No comments:

Post a Comment