पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : बसंत : 7 : 9
बसंत : 7 : 9
लच्छ अहेरी एक जीव , ताते पुकारे पीव पीव !
शब्द अर्थ :
लच्छ = लक्ष , निशाणा ! अहेरी = शिकार ! एक जीव = मानव प्राणी ! ताते पुकारे = वह मदत के लिये फुकार रहा है ! पीव पीव = प्रियजन प्रियजन , दोस्त बचाव बचाव !
प्रग्या बोध :
परमात्मा कबीर बसंत के इस पद में जीव और माया के आपसी संबंध पर लोगोंको शिक्षा देते हुवे बताते है जीव अर्थात मानव प्राणी माया को आपना हमदम प्रिय दोस्त मानता है पर यही माया मोह इच्छा तृष्णा उसी मानव की शिकार करने के लिये तत्पर रहती उसका शिकार और लक्ष अन्य कोई नही वही मानव है ज़िस ने माया को सहारा दिया , घर मे रहने दिया , इज्जत दी प्यार दिया स्नेह दिया अपना कहा वही माया मोह जीव का एक दिन घात करती है , चौरी झूठ खुन बलात्कार जैसे अधर्म और पाप कुकर्म यही माया कराती है ज़िसे जीव अपना अपना कहती है !
धर्मविक्रमादित्य कबीरसत्व परमहंस
दौलतराम
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ
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